कहीं होर्डिंग्स पर दादा सुरेश जैन का एक फोटो तक नहीं

एम हसीन

रुड़की। यह तो अब चेरब जैन ने खुद ही कह दिया है कि वे महानगर में मेयर पद के आकांक्षी हैं। उन्होंने उन विकास और निर्माण योजनाओं का भी उल्लेख कर दिया है जिनपर वे, चुनाव जीते तो, काम करने वाले हैं। लेकिन उनके संदर्भ में महत्वपूर्ण बात कुछ और है। महत्वपूर्ण बात यह है कि वे किसी दल के टिकट के दावेदार के रूप में अपने आप को प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं। अहमियत इस बात की भी है कि वे अपने आप को अपने दादा यानि पूर्व विधायक कर सुरेश जैन के राजनीतिक वारिस के रूप में भी प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं; हालांकि विधायक के रूप में सुरेश जैन का कार्यकाल खासा उल्लेखनीय रह चुका है। यह खासतौर पर इसलिए उनके लिए लाभकारी साबित हो सकता है क्योंकि वे विकास के वादे के साथ जनता के बीच जा रहे हैं और सुरेश जैन के कार्यकाल को विकास के रूप में ही पहचाना जाता है।

चेरब जैन पिछले चार महीने से अपने आपको समाज सेवा के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। पहले उन्होंने इस बात से इनकार किया था कि उनका कोई राजनीतिक उद्देश्य है। इसलिए तब इस बात का कोई महत्व स्थापित नहीं हुआ था कि उनके होर्डिंग्स पर उनके अलावा मात्र उनकी पत्नी का फोटो लगा है। इसके अलावा न किसी राजनीतिक दल का उल्लेख है और नहीं किसी शख्सियत का; यहां तक कि उनके दादा सुरेश जैन का फोटो भी उनके होर्डिंग पर नहीं है। फिर वे धीरे धीरे खुले और उन्होंने स्वीकार किया कि उनका उद्देश्य राजनीतिक है और वे मेयर पद का चुनाव लड़ना चाहते हैं। इस खुलासे के बावजूद उनके होर्डिंग पर अभी तक किसी का फोटो नहीं आया है। जाहिर है की वे अपनी शुरुआत अपने ही चेहरे पर करना चाहते हैं यानि अपनी राजनीतिक यात्रा वे किसी राजनीतिक विरासत के दम पर स्थापित नहीं करना चाहते।

उनकी इस कोशिश के बावजूद यह कहा जाना गलत नहीं होगा कि सुरेश जैन की विरासत उनके लिए शर्म का बायस नहीं बनने वाली है। यह सच है कि नगर में कॉरपोरेट राजनीति के लिए तमाम दरवाजे सुरेश जैन ने ही खोले थे। उन्होंने भाजपा की सारी राजनीति को किनारे सरकाकर अपने लिए पार्टी टिकट हासिल किया था, जीत हासिल की थी और अपनी दिशा निर्धारित की थी। उनका पहला कार्यकाल बतौर निर्दलीय विधायक पूरा हुआ था। फिर भी राज्य सरकार के कई राज्य स्तरीय मुख्यालय, मसलन टेक्निकल एजुकेशन बोर्ड, रुड़की में स्थापित हुए थे। उनका दूसरा कार्यकाल सत्तारूढ़ दल के विधायक के रूप में शुरू हुआ था और उन्होंने इसका भरपूर लाभ उठाया था। उनके कार्यकाल में कई स्थानों पर अतिक्रमण हटाकर मार्गों की चौड़ाई बढ़ाई गई थी, गंग नहर पर घाटों का निर्माण कराया गया था, नहर के किनारे वेंडिंग जोन बनाए गए थे, महारानी लक्ष्मी बाई पार्क का निर्माण हुआ था। साथ ही विद्युत व्यवस्था का आधुनिकीकरण हुआ था और पहली बार नगर के भीतर हॉट मिक्स प्लांट से सड़कें बनाई गई थी। कुछ स्थानों पर नालों का भी उन्होंने निर्माण कराया था। सबसे महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय काम उन्होंने यह किया था कि नगर को गंग नहर पर बी टी गंज वाला पुल दिया था; जिसका बाद में प्रदीप बत्रा ने आधुनिकीकरण कराया था। यह हकीकत है कि नगर में काम की राजनीति या तो 1991-1993 के बीच तत्कालीन भाजपा विधायक और सिंचाई मंत्री डॉ पृथ्वी सिंह विकसित ने गंग नहर पर दो पुल बनवाकर की थी या फिर उनके बाद सुरेश जैन ने की थी। उनके अलावा किसी विधायक ने रुड़की नगर में कोई काम नहीं कराया। दरअसल, रुड़की में काम की संस्कृति ही नहीं है। ऐसे में अगर चेरब जैन अपने दादा की विरासत का भी उल्लेख करते हैं तो यह उनके पक्ष में जाने वाली बात होगी।