क्या आपसी एकता का संदेश दे पाएगी पार्टी?

एम हसीन

रुड़की। महानगर कांग्रेस अध्यक्ष राजेंद्र चौधरी एडवोकेट का कहना है कि जन समस्याओं को लेकर कांग्रेस ने जो ज्ञापन प्रशासन को दिया था उस पर अगर निर्धारित अवधि के भीतर कार्यवाही नहीं होती तो कांग्रेस का निर्धारित तिथि पर धरना प्रदर्शन करना निश्चित है। यह सब अपने स्थान पर है, लेकिन सवाल यह है कि क्या पार्टी के इस धरना प्रदर्शन के साथ राजेंद्र चौधरी अपनी पूरी पार्टी को जोड़ लेंगे? कारण यह है कि उनकी इस घोषणा के बावजूद पार्टी कार्यकर्ता अपने अपने तौर पर जन समस्याओं को उठा ही रहे हैं और उनमें खुद महानगर अध्यक्ष की हाजिरी दिखाई नहीं दे रही है। मेयर टिकट के सबसे प्रबल दावेदार सचिन गुप्ता हालांकि अपने तौर पर विरोध प्रदर्शन की राजनीति नहीं कर रहे हैं लेकिन सामाजिक मामलों में हाल तक उनकी सक्रियता ने ही कांग्रेस को यहां लाइव दिखाया है। उनमें लचक भी अपनी स्थिति के अनुरूप दिख रही है। नगर बाकी का क्या?

महानगर कांग्रेस में हाल तक की स्थिति यह रही है कि पार्टी के सांगठनिक चेहरा ने ही पार्टी का चुनावी चेहरा बनने की कोशिश नहीं की है। 2012 में जब प्रदीप बत्रा नगर कांग्रेस विधायक बने थे, तब नगर कांग्रेस अध्यक्ष पद रिक्त पड़ा था। 2012 में ही कलीम खान इस पद पर आए थे जो कि खुद चुनावी चेहरा नहीं थे। 2022 तक वे ही पहले नगर और फिर महानगर अध्यक्ष रहे थे। वे पार्टी के चुनावी चेहरे, 2013 में राम अग्रवाल, 2017 में सुरेश जैन, 2019 व 2022 में यशपाल राणा के साथ चले थे। अब राजेंद्र चौधरी महानगर अध्यक्ष हैं जो खुद मेयर चुनाव के दावेदार होने की घोषणा कर चुके हैं। दूसरी ओर प्रदेश महासचिव सचिन गुप्ता, अभी तक सामान्य कार्यकर्ता चले आ रहे सुभाष सैनी, पूर्व मेयर यशपाल राणा, विकास त्यागी, हाजी सलीम खान, सुधीर शांडिल्य और श्रीगोपाल नारसन को भी मेयर पद के पार्टी टिकटार्थी के रूप में देखा जा रहा है। अहमियत इस बात की है कि इन सब दावेदारों में आपस में किसी न किसी के साथ आपसी सहमति तो है लेकिन राजेंद्र चौधरी के साथ ये आमतौर पर सहमति कायम नहीं कर पा रहे हैं।

राजेंद्र चौधरी भी कहीं न कहीं चीजों को लेकर असहज हैं। मसलन, हाल ही में सुभाष सैनी ने नगर विधायक का पुतला दहन कार्यक्रम किया। उसमें बताया गया है कि हाजी सलीम खान तो गए, लेकिन बाकी कोई टिकटार्थी नहीं गया। इसी प्रकार सचिन गुप्ता कांवड़ के समय से ही नियमित कार्यक्रम करते आ रहे हैं, लेकिन राजेंद्र चौधरी समेत कोई उनके कार्यक्रम में उनके साथ मंचस्थ नहीं दिखा। अलबत्ता जो कार्यक्रम कांग्रेस के बैनर पर राजेंद्र चौधरी ने किए उनमें सचिन गुप्ता अवश्य दिखाई दिए। मसलन, कांवड़ियों को प्रसाद वितरण करने के लिए आयोजित किए गए कार्यक्रम में सचिन गुप्ता गए, हालांकि उनमें यशपाल राणा और सुभाष सैनी के अलावा हाजी सलीम खान और श्री गोपाल नारसन भी नहीं थे। जहां तक यशपाल राणा का सवाल है तो वे तो 2022 के बाद महानगर कांग्रेस स्तर के किसी भी कार्यक्रम में शायद ही शामिल हुए हों। लेकिन अन्य लोगों का एक मंच पर आना भी एक बड़ा मसला है।

यद्यपि यह भी सच है कि महानगर कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित उपरोक्त धरना प्रदर्शन अगर अस्तित्व में आता है तो शायद यशपाल राणा ही ऐसा चेहरा हो सकते हैं जो इसमें शिरकत न करें। बाकी सभी लोग, अपने लोकतांत्रिक जनमोर्चा का स्वतंत्र अस्तित्व लेकर चल रहे सुभाष सैनी भी, इसमें भाग ले सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि वह एकता कितनी मजबूत होगी? दरअसल, चुनावी राजनीति में संगठन की राजनीति के साथ तालमेल कायम करके चलने की हिम्मत केवल सचिन गुप्ता ही दिखा पा रहे हैं। वे अगर राजेंद्र चौधरी के प्रसाद वितरण में जा रहे हैं तो हाजी सलीम खान के झंडा आरोहण में भी जा रहे हैं, सुभाष सैनी और राजेंद्र चौधरी की उपस्थिति में भी, जा रहे हैं। बाकी लोग न ऐसी एकता कायम कर पा रहे हैं और न ही इतनी लचक दिखा पा रहे हैं। इसी कारण सवाल यह है कि पार्टी का प्रस्तावित धरना प्रदर्शन, जो एक प्रकार से पार्टी का मेयर चुनाव अभियान का ऐलान होगा, में अगर विभिन्न चेहरों के बीच कोई एकता दिखाई देती है तो क्या वह औपचारिक होगी या राजनीतिक होगी?