……तो क्या उम्मीद करें निकल जाएगा सोलानी पुल निर्माण कार्य प्रारंभ होने का रास्ता?

एम हसीन

रुड़की। नगर विधायक प्रदीप बत्रा ने टूटी हुई सड़कों का अवलोकन करना शुरू कर दिया है। उन्होंने वृक्षारोपण भी शुरू कर दिया है। इससे यह इशारा मिलता है कि अपने निजी कॉरपोरेट एंपायर के विस्तार को अस्थाई विराम देते हुए वे चुनावी मोड में आ चुके हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या अब सोलानी पुल के निर्माण में आ रही रुकावटों के हल का रास्ता निकल जाने वाला है? ध्यान रहे कि इस पुल के निर्माण के लिए निविदा प्रक्रिया पिछले मई महीने में ही प्रारंभ कर दी गई थी। इसके बावजूद अभी तक साइट पर शिलान्यास तक नहीं हो पाया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि निविदा प्रक्रिया पूरी करने में एक तकनीकी दिक्कत आ रही है, जिसे जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। लेकिन विपक्ष के एक नेता का कहना है कि प्रदीप बत्रा इसमें रोड़ा अटका रहे हैं।

रुड़की में सोलानी पुल के निर्माण का मामला बेहद अहम बना हुआ है। रुड़की को हरिद्वार से जोड़ने वाला नगर के उत्तरी छोर पर स्थित यह पुल पिछले दो साल से भारी यातायात के लिए बंद है। इसका नतीजा यह है कि बस या ऐसे ही अन्य भारी वाहनों से सफर करने वाले लोगों को पहले लंढौरा मार्ग पर स्थित नगला इमरती गांव तक जाना पड़ता है, जहां से उनका वाहन बायपास हाईवे पकड़ता है और फिर लोग हरिद्वार पहुंचते हैं। यही प्रक्रिया वापसी में दोहरानी होती है। इसके चलते सफर करीब 15 किलोमीटर लंबा और महंगा हो जाता है। सबसे ज्यादा दिक्कत उन विद्यार्थियों को होती है जिनके स्कूल ऐन नदी दूसरी तरफ बने हुए हैं और जब पुल चालू था तब उन्हें आज के मुकाबले एक तिहाई यात्रा करना पड़ती थी। इस समस्या को खुद प्रदीप बत्रा ने ही विधानसभा में कई बार उठाया था और कलियर विधायक हाजी फुरकान अहमद ने भी इसे लेकर विधानसभा में आवाज उठाई थी।

इसके साथ ही लोक निर्माण विभाग ने नए पुल के निर्माण का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था। लंबी जद्दोजहद के बाद पुल को केंद्रीय पुल निधि से आवश्यक धनराशि आवंटित हुई थी और पुल के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी। यह पिछले मई महीने की बात है। तब निविदाएं आई भी थी। इसके बावजूद अभी तक पुल के निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाया है। लोक निर्माण विभाग के सूत्रों का इस विषय में कहना है कि तकनीकी बिड को लेकर कुछ समस्या आ रही है। यही कारण है कि अभी संबंधित कंपनी को कार्य आदेश जारी नहीं किया गया है। लेकिन कांग्रेस के एक बड़े नेता का कहना है कि अब प्रदीप बत्रा ही यह कार्य आदेश जारी होने में रुकावट पैदा कर रहे हैं। उपरोक्त नेता की इस जानकारी का स्रोत क्या है यह ज्ञात नहीं हो सका है।

बहरहाल, अब जब बत्रा चुनावी मोड में आ गए हैं, उन्होंने अपने निजी स्वार्थों की फाइलों को पीछे खिसका ही दिया है, अपने जाती लाभ की योजनाओं को कुछ समय के लिए मुल्तवी कर ही दिया है तो यह भी सम्भव है कि वे सोलानी पुल के निर्माण को भी मंजूरी दे ही दें। आखिर यह तो तय है न कि पुल निर्माण का मामला चुनाव में उनके खाते में ही क्रेडिट या डिस्क्रेडिट होगा।