कौन भर रहा है गौरव गोयल के गुब्बारे में हवा?
एम हसीन
रुड़की। पूर्व महापौर गौरव गोयल की सक्रियता हाल में खासी बढ़ी हुई दिखाई दे रही हैं। तरीका उनका काम करने का वही पुराना है यानि स्कूली छात्रों में कॉपी-पेंसिल का वितरण और उनका सम्मान। लेकिन जाहिर है कि समाज सेवा की इसी परिपाटी पर चलते हुए 2019 में वे भाजपा में मेयर टिकट के स्ट्रांग कंटेंडर बने थे और फिर टिकट कटवाकर शहीद भी हुए थे। इसका उन्हें ईनाम मिला था बतौर निर्दलीय मेयर पद पर निर्वाचन। यह एक बड़ा ईनाम था। इसलिए गौरव गोयल का राजनीति से मोह भंग होने का सवाल ही नहीं उठता। उनका यही मोह उन्हें सक्रिय कर रहा है। लेकिन सामने इस बार चुनाव निकाय का नहीं बल्कि विधानसभा का है। यह उससे भी बड़ा पद है जिस पर वे रह चुके हैं। लेकिन सच यह भी है कि गौरव गोयल के अपने व्यक्तित्व में ऐसा कोई आकर्षण नहीं है जो उन्हें अपने दम पर विधानसभा चुनाव की राजनीति में निर्णायक शक्ति प्रदान कर सके। ऐसे में उनकी सक्रियता को लेकर यह सवाल उठना स्वाभाविक है उनके सपने के इस गुब्बारे में हवा कौन भर रहा है?
गौरव गोयल नगर के उन राजनीतिक महत्वकांक्षियों के सिरमौर हैं जो अपने लक्ष्य के लिए किसी भी प्रकार की मेहनत करने से नहीं चूकते। यह इस बात से जाहिर है कि जब तमाम राजनीतिक कार्यकर्ता पार्टी टिकट की लालसा में बुढ़ियाकर रिटायर हो चुके हैं तब महज 2012 के विधानसभा चुनाव से टिकट की मुहिम शुरू करने वाले गौरव गोयल ने महज 7 साल में बिना टिकट ही मेयर जैसा महत्वपूर्ण पद बिना टिकट हासिल कर लिया था। उन्होंने अपने चारों ओर एक खास आभा मंडल तैयार किया और बेहद अल्प अवधि में अभीष्ट को प्राप्त किया। इसके बाद बारी उन्हें अपनी क्षमता साबित करने की थी जिसमें वे नाकाम हुए और महज साढ़े तीन साल में ही पद से इस्तीफा देने पर मजबूर हुए। लेकिन इतने मात्र से वे हतोसहित नहीं हुए और उनकी अब की सक्रियता बता रही है कि उन्होंने अपना अगला लक्ष्य निर्धारित कर लिया। लगता है कि उनका लक्ष्य 2027 का विधानसभा चुनाव है। वे भाजपा से निष्कासित चले आ रहे हैं इसलिए यह अनुमान तो लगाया जा सकता है कि उनका लक्ष्य भाजपा टिकट नहीं है। तो फिर किस पार्टी का टिकट उनका लक्ष्य है? या फिर विधानसभा भी निर्दलीय ही लड़ने का इरादा रखते हैं? दूसरी बात, 2019 में उनके अभियान को अपने-अपने तरीके से लगभग सारी भाजपा और लगभग सारी कांग्रेस ने सपोर्ट किया था। उनके इस अभियान में कांग्रेस के दिग्गज हरीश रावत का गुट भी शामिल था और भाजपा के विधायक प्रदीप बत्रा का गुट भी। सवाल यह है कि क्या भविष्य में उन्हें प्रदीप बत्रा का सहयोग मिल सकता है? ध्यान रहे कि 2027 में भाजपा के प्रत्याशी खुद प्रदीप बत्रा ही होंगे। इसी प्रकार हरीश रावत 2027 में उन्हें कितना सपोर्ट करेंगे? क्या हरीश रावत उन्हें सीधे-सीधे कांग्रेस का टिकट दे देंगे या फिर कांग्रेस का टिकट किसी और के पास होगा और गौरव गोयल को निर्दलीय के रूप में हरीश रावत का आशीर्वाद मिलेगा? तब मसला यह भी होगा कि भाजपा में प्रदीप बत्रा की विरोधी लॉबी का रुख क्या रहेगा? कुल मिलाकर सवाल यह है कि गौरव गोयल अपना गुब्बारा किसके दम पर या किस उम्मीद पर फुला रहे हैं?