कलियर सीट पर सुरक्षित स्थिति में हाजरा बानो
एम हसीन
पीरान कलियर। कलियर नगर पंचायत का ग्राम महमूदपुर मौजूदा चुनाव में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बना हुआ है। कारण यह है कि यहां की राजनीति की गुटबाजी बहुत स्पष्ट, बहुत तीखी है। इसी चुनाव के दौरान वहां कुछ ऐसी घटनाएं घटी थीं जिन्होंने इसे और अधिक बढ़ाया है। यही कारण है कि हर प्रत्याशी का प्रयास किसी न किसी तरह से महमूदपुर को अपने प्रभाव में लाने का है। इसके लिए कांग्रेस और कांग्रेस विचारधारा के प्रत्याशियों में प्रतिस्पर्धा कहीं अधिक तीखी है क्योंकि जो बसपा के प्रभाव का वोट है वह अपने स्थान पर सेट है और किसी गुटबाजी का हिस्सा नहीं है। ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं कि कांग्रेस ने यहां पहले सांसद इमरान मसूद की सभा कराई लेकिन जब कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं हुए तो क़ाज़ी निज़ामुद्दीन को लाया गया। क़ाज़ी निज़ामुद्दीन आए, उन्होंने यहां वोट मांगे, तो कार्यकर्ता संतुष्ट दिखाई दिए। अब कांग्रेस प्रत्याशी हाजरा बानो के पति अकरम प्रधान अपेक्षाकृत आरामदायक स्थिति में हैं। अपने प्रभाव के क्षेत्र मुकर्रबपुर और बेडपुर में वे पहले ही मजबूत थे। साथ ही कलियर के चार प्रत्याशियों, बसपा के सलीम प्रधान, ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन के राशिद कुरैशी, निर्दलीय नाजिम त्यागी और अकरम (होटल) के बीच अपना हिस्सा अकरम प्रधान पहले से ही सुरक्षित मात्रा में बांट रहे थे।
कलियर नगर पंचायत चुनाव में शुरुआती दौर में कांग्रेस विधायक हाजी फुरकान और बसपा के लक्सर विधायक हाजी शहजाद के बीच माना गया था। लेकिन फिर हालात बदले। हाजी फुरकान परिदृश्य से गायब होते गए जबकि हाजी शहजाद कायम रहे। फिर मुकाबला अकरम प्रधान बनाम हाजी शहजाद होता गया। जाहिर है कि इससे एक दौर में अकरम प्रधान की झटका भी लगा। लेकिन उनके राजनीतिक सलाहकार इससे घबराए नहीं। उन्होंने बिसात बिछाकर पहले हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत को यहां मैदान में उतारा। फिर सहारनपुर सांसद क़ाज़ी इमरान मसूद की सभा कराई गई और अंत में क़ाज़ी निज़ामुद्दीन को लाया गया जिन्होंने डोर टु डोर और व्यक्तिगत बैठकों के माध्यम से जनमत बनाने के लिए काम किया। अकरम प्रधान के रणनीतिकार सफल रहे हैं। बात काबू में आ गई दिखाई दे रही है। जैसा कि नजर आ रहा है कि नाजिम त्यागी से लेकर राशिद कुरैशी तक अपने प्रभाव के वोट में मजबूती से लड़ रहे हैं लेकिन मुख्य मुकाबले का एक छोड़ अकरम प्रधान और एक छोर बसपा बन गई है। परिणाम के लिए 25 जनवरी का इंतेज़ार जरूरी है।