अपने नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए बसपा प्रत्याशी पिता के लिए नगर में मांग रही वोट

एम हसीन

मंगलौर। “मेरी अपील है कि आप मेरे पिता चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी को वोट दें जो कि बसपा के टिकट पर यहां नगर पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशी हैं।” जोया अख्तर अंसारी के पास अपनी इस अपील के पक्ष में तमाम दलीलें हैं, तमाम तर्क हैं और तमाम प्रस्ताव हैं। मसलन, नगर के लोगों की सेवा उनकी पारिवारिक परंपरा है। मसलन, नगर पालिका अध्यक्ष पद पर रह कर उनके दादा हाजी अख्तर अंसारी और मेरी दादी हज्जन सरवरी अंसारी ने निष्ठा और सेवा भाव से कार्य किया था। मसलन, उनके पिता चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी परिवार की इसी निष्ठा भावना के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। आदि-अनादि। अहम यह है कि जोया अंसारी चुनाव प्रचार का एक अतिरिक्त आकर्षण बन गई हैं। खासतौर पर महिलाओं के बीच उनके प्रचार अभियान को सराहा जा रहा है।

गौरतलब है चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी एक बार फिर नगर पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के रूप में अवाम के बीच हैं। उन्होंने बसपा के टिकट पर ही पिछला निकाय चुनावी लड़ा था, लेकिन उसे समय बसपा ने अपने पूर्व विधायक हाजी सरवत करीम अंसारी को निष्कासित कर दिया था। उनके साथ ही पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष डॉक्टर शमशाद भी निष्कासित कर दिए गए थे। इसका परिणाम यह हुआ था कि अंसारी बिरादरी का एक मुश्त समर्थन हाजी सरवत करीम अंसारी के प्रत्याशी डॉक्टर शमशाद के भाई हाजी दिलशाद को मिला था और चुनाव हाजी दिलशाद तथा कांग्रेस के तत्कालीन प्रत्याशी चौधरी इस्लाम के बीच सिमट गया था। हाजी सरवत करीम अंसारी के भविष्य के प्रति भावुक हुई अंसारी बिरादरी ने उसे समय चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी सहित सभी अंसारी प्रत्याशियों को नकार दिया था। नतीजा यह हुआ था कि हाजी दिलशाद नगर पालिका अध्यक्ष निर्वाचित हो गए थे।

अब आज सरवत करीम अंसारी हयात नहीं हैं और चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी एक बार फिर नगर पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के रूप में सामने हैं। आवाम उनके भविष्य को लेकर क्या फैसला करता है यह है 25 जनवरी को मतगणना के समय सामने आएगा। फिलहाल की स्थिति यह है कि उनकी बेटी और जोया अख्तर अंसारी उनके पक्ष में चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं। वे बिरादरी से यह अपील कर रही हैं कि पिछली बार उनके पिता ने बिरादरी के मान-सम्मान की रक्षा के लिए अपने चुनाव की कुर्बानी दी थी। इस बार बिरादरी उनका सम्मान बहाल करे।