तीन टर्म के बाद इस बार बनेगा अंसारी नगर पालिका परिषद का अध्यक्ष
एम हसीन
मंगलौर। नगर निकाय की राजनीति में अध्यक्ष पद को लेकर चला आ रहा तेली वर्चस्व 15 साल बाद टूटने जा रहा है। चौधरी इस्लाम का नामांकन खारिज होने के एक ही घटनाक्रम ने यहां अध्यक्ष की संभावना को खत्म कर दिया है, हालांकि तेली बिरादरी के ही निवर्तमान अध्यक्ष डॉ शमशाद के भाई हाजी दिलशाद इस बार भी मैदान में हैं लेकिन चूंकि चौधरी इस्लाम प्रकरण का ठीकरा उन्हीं के सिर फूट रहा है इसलिए उनका चुनाव अभियान शुरुआत में ही सुरक्षात्मक हो गया है। उनके अलावा अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशी अंसारी बिरादरी से आते हैं।
गौरतलब है कि 2003 के निकाय चुनाव तक यहां अंसारी वर्चस्व देखने में आता था। तब भी यहां निवर्तमान अध्यक्ष के पुत्र कलीम अंसारी ही चुनाव हारे थे और नफीस अंसारी जीते थे। लेकिन 2008 में स्थितियां बदल गई थीं। तब स्थानीय विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन ने तेली बिरादरी के डॉ शमशाद को प्रत्याशी बनाया था और तकनीकी रूप से उनकी माता चुनाव लड़ी थी। डॉ शमशाद जीते थे लेकिन बीच टर्म पूरा होने से पहले वे क़ाज़ी निज़ामुद्दीन का साथ छोड़कर विपक्षी खेमे में चले गए थे, जिसकी अगुवाई हाजी सरवत करीम अंसारी कर रहे थे। 2013 में हाजी सरवत करीम अंसारी ने डॉ शमशाद को ही लड़ाया था और क़ाज़ी निजामुद्दीन ने भी तेली बिरादरी के चौधरी इस्लाम को प्रत्याशी बनाया था। इस बार चौधरी इस्लाम विजेता बने थे। 2018 में फिर दोनों आमने-सामने आए थे और इस बार डॉ शमशाद चेयरमैन बने थे। 2025 में फिर दोनों के आमने-सामने आने के हालात थे। चौधरी इस्लाम ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में और डॉ शमशाद ने निर्दलीय के रूप में पर्चा दाखिल कर भी दिया था। लेकिन चौधरी इस्लाम का पर्चा खारिज हो गया और इसे खारिज कराने का ठीकरा डॉ शमशाद के सिर फूटा। नतीजा के तौर पर डॉ शमशाद का जबरदस्त विरोध देखने में आ रहा है।
उपरोक्त दोनों के अलावा यहां चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी ने बसपा प्रत्याशी के रूप में और मुहीउद्दीन अंसारी, जुल्फिकार ठेकेदार, तहसीन अंसारी, आमिर कलीम अंसारी आदि ने भी नामांकन किया हुआ है और ये सभी अंसारी बिरादरी से आते हैं। जो हालात देखने में आ रहे हैं वे ये हैं कि इस बार जो कोई भी यहां जीतेगा, वह अंसारी ही होगा।