निवर्तमान अध्यक्ष से लेकर निवर्तमान पार्षद तक भी हैं प्रत्याश
एम हसीन
पीरान कलियर। कलियर में इस बार दलई राजनीति की धूम है। बसपा ने इस बार पूर्व प्रधान सलीम अहमद की पत्नी शमीम को अपना प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस ने पूर्व प्रधान मुहम्मद अकरम की पत्नी हाजरा बानो पर दांव लगाया है। निवर्तमान अध्यक्ष शफ़क़्क़त अली भी मैदान में हैं और निवर्तमान सभासद नाजिम त्यागी भी। पिछली बार कांग्रेस ने यहां प्रत्याशी घोषित नहीं किया था लेकिन स्थानीय पार्टी विधायक हाजी फुरकान अहमद ने शफ़क़्क़त अली का खामोश समर्थन किया था। इस बार तय दिखाई दे रहा है कि जिस प्रकार शफ़क़्क़त अली को कांग्रेस का टिकट नहीं मिला है इसी प्रकार विधायक का समर्थन भी नहीं मिल रहा है।
दूसरी ओर नाजिम त्यागी, चूंकि वे विधायक के करीबी भी हैं और उन्होंने पार्टी टिकट भी मांगा था, इस बात से नाराज हैं कि उन्हें टिकट न देकर हाजरा बानो को दे दिया गया। उन्होंने बतौर निर्दलीय मैदान में आने की घोषणा कर दी है।
इस सबके बीच बसपा के सलीम अहमद की स्थिति है। वे चूंकि दलीय प्रत्याशी हैं इसलिए स्वाभाविक रूप से राजनीति के केंद्र में आ गए हैं। खासतौर इसलिए कि बसपा प्रत्याशी शमीम लक्सर के बसपा विधायक हाजी मुहम्मद शहजाद की बहन हैं। इस बिंदु पर आकर यह चीज अहम हो जाती है कि कलियर नगर पंचायत क्षेत्र की ही नहीं बल्कि कलियर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति सनातन काल से हाजी फुरकान अहमद और हाजी मुहम्मद शहजाद के बीच बंटी रही है। 2012 और 2017 में ये दोनों ही यहां आमने-सामने चुनाव लड़ते रहे हैं। यही परिस्थिति नगर पंचायत में भी रही है। पिछली बार यहां कांग्रेस का प्रत्याशी नहीं था और सलीम अहमद के पास बसपा का चुनाव चिह्न नहीं था। फिर मुकाबला शफ़क़्क़त अली और सलीम अहमद के ही बीच हुआ था, क्योंकि शफ़क़्क़त अली के पीछे हाजी फुरकान अहमद थे और सलीम अहमद के पीछे हाजी मुहम्मद शहजाद थे। अब यह स्थिति हाजरा बानो और शमीम के बीच बन रही है। अब देखना यह है कि इन दोनों के बीच कौन तीसरा प्रत्याशी अपने लिए स्थान बना पाता है। देखना दिलचस्प रहने वाला है निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष का मुकाम क्या रहने वाला और कांग्रेस के बागी नाजिम त्यागी कैसा प्रदर्शन करने वाले हैं।