भाजपा से मांग रही हैं टिकट

एम हसीन

रुड़की। महानगर में मेयर टिकट की जो दावेदार सामने आई हैं उनमें ऐसी दावेदार भी हैं जिनके प्रायोजक उनके पति नहीं बल्कि पुत्र हैं। भाजपा में ऐसी दावेदार श्रीमती वीना सिंह हैं। उनके प्रायोजक उनके पुत्र अक्षय प्रताप सिंह दिखाई दे रहे हैं। बहरहाल, एक ओर यह दावेदारी है और दूसरी ओर नगर है।

स्थिति को यूं समझा जा सकता है कि जॉइंट मजिस्ट्रेट रुड़की में सामान्यतः प्रशासनिक कार्यों का संपादन करने तक ही सीमित रहते आए हैं। उनके द्वारा नगर की सामान्य व्यवस्था में अधिक हस्तक्षेप करने की परंपरा नहीं रही है। लेकिन मौजूदा ज्वाइंट मजिस्ट्रेट संजीव मिश्रा किसी न किसी स्तर पर नगर की सामान्य समस्याओं को लेकर भी अपनी चिंता प्रकट करते दिखाई दे रहे हैं। मसलन, उन्होंने हाल ही में यातायात सुरक्षा को लेकर बैठक बुलाई थी। जाम की स्थिति का अध्ययन करने के लिए वे कई स्थानों पर मौका-मुआयना करने के लिए भी जाते देखे गए हैं। यह बेवजह नहीं है। वजह यह है कि ढांचागत रूप से रुड़की नगर की व्यवस्था बिखर रही है। सड़कों पर वाहनों की भीड़ बढ़ रही है और रास्ते सिमट रहे हैं। इसमें अतिक्रमण का भी भरपूर हाथ है। नए मार्ग या वैकल्पिक मार्ग बन नहीं रहे हैं। न ही वेंडिंग जोन बन रहे हैं और न ही अतिक्रमण का कोई तोड़ निकल रहा है। यही हाल अन्य सुविधाओं का भी है।

ऐसी स्थिति में ऐसे मेयर की जरूरत महसूस की जा रही है जिसके भीतर कोई कल्पनाशीलता हो, जिसकी कोई वैचारिक क्षमता हो और जिसका अपना राजनीतिक-सामाजिक प्रभाव हो। चूंकि मेयर सीट महिला के लिए आरक्षित हुई है इसलिए ख्याल इस बात का भी करना पड़ेगा कि मेयर प्रत्याशी ऐसा हो जो भले ही परिवार की बंदिशों में हो लेकिन जिसका कोई सामाजिक जीवन हो, जिसके वास्ते समाजिक या व्यवस्थागत सास्याओं से पड़ता हो। श्रीमती वीना सिंह भाजपा में टिकट की ऐसी ही दावेदार के रूप में देखी जा सकती हैं। जैसा कि सब जानते हैं कि श्रीमती वीना सिंह जाहिरा तौर पर भाजपा नेता अक्षय प्रताप सिंह की माता हैं और योगेन्द्र प्रताप सिंह की पत्नी हैं। लेकिन उनका अपना परिचय यह है कि भारत विकास परिषद की नगर अध्यक्ष से लेकर महिला संयोजिका और प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी रह चुकी हैं। भारत विकास परिषद सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित ख्यात संस्था है और इसमें पदाधिकारी बनने के अलिखित शर्त यही है कि व्यक्ति के भीतर सामाजिक सोच, क्षमता और समय हो। श्रीमती वीना सिंह परिषद की इन शर्तों पर खरी उतरी थी तो इसकी पदाधिकारी बनी थी। फिर उन्होंने अपनी सोच को एक्जीक्यूट भी किया। खासतौर महिला स्वालंबन और महिला सशक्तिकरण को लेकर उन्होंने क्षेत्र में तमाम काम किए और इन्हें मौके पर जाकर देखा जा सकता है। यह सच है कि जिस प्रकार अन्य दावेदारों को उनके परिवार के पुरुष राजनीतिक रूप से प्रायोजित कर रहे हैं उसी प्रकार श्रीमती वीना सिंह को भी उनके पुत्र अक्षय प्रताप सिंह प्रायोजित कर रहे हैं। यही इस बात का प्रमाण है कि श्रीमती वीना सिंह की अपनी स्वतंत्र सोच है, अपना व्यक्तित्व है और अपनी स्वतंत्र विचारधारा है। अहम यह है कि वे भाजपा में टिकट की उन दावेदारों में हैं जो भाजपा को बुनियाद से जानती हैं। सवाल यह है कि भाजपा उन्हें महानगर में अपना प्रत्याशी बनाएगी?