सामान्य सीट पर दलित को बना सकती है चेहरा

एम हसीन

रुड़की। भाजपा ने मेयर टिकट के आवेदन को इवेंट बनाकर कांग्रेस के भीतरी खालीपन को उजागर कर दिया है। पिछले कई दिन जिस प्रकार का राजनीतिक वातावरण रुड़की नगर में दिखाई दिया, पार्टी के जिला कार्यालय पर जितने बड़े पैमाने पर भीड़ जुटी, मेयर पद के करीब तीन दर्जन आवेदन सहित 40 वार्डों में पार्षद पदों के लिए जितने बड़े पैमाने पर आवेदन हुए, उससे आम संदेश यह जा रहा है कि जन समर्थन केवल भाजपा के साथ है और कांग्रेस को टिकट के दावेदार भी ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। यह स्थिति तब है जब निकाय प्रमुख चुनाव को लेकर भाजपा का ट्रैक रिकार्ड भी वही है जो कांग्रेस का; अर्थात अगर कभी कांग्रेस का मेयर रुड़की में निर्वाचित नहीं हुआ तो भाजपा का मेयर भी निर्वाचित नहीं हुआ। अलबत्ता पार्षद स्तर पर स्थित दूसरी रही है। मसलन पिछले बोर्ड में ही मेयर निर्दलीय गौरव गोयल निर्वाचित हुए थे लेकिन पार्षदों के रूप में भाजपा को लगभग बहुमत प्राप्त हो गया था। तब कांग्रेस मेयर का चुनाव दूसरे नंबर पर रहकर पराजित हुई थी, लेकिन पार्षदों के स्तर पर भी वह दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर सकी थी। उसके गिनती के जो पार्षद चुने गए थे उनमें अधिकांश मुस्लिम बेल्ट से आए थे।

इन परिस्थितियों में कांग्रेस इस तस्वीर को बदलने के लिए कोई मजबूत समीकरण तलाश करने पर मजबूर हुई है। पार्टी अपने विशाल मुस्लिम वोट बैंक के भरोसे अब जीत का समीकरण बनाने की राह पर जाने को मजबूर हुई है और वह मेयर पद के लिए दलित-मुस्लिम समीकरण के आधार पर प्रत्याशी लाने का प्रयास कर रही है। बताया जा रहा है कि सुनहरा के पूर्व प्रधान अरविंद इस मामले में पार्टी की पहली पसंद बन रहे हैं।उन्हें पार्टी बतौर मेयर प्रत्याशी लॉन्च करने की दिशा में गंभीरता से मंथन हो रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खास माने जाने वाले कांग्रेसी ने नाम न छापने की शर्त पर इसकी पुष्टि की है।

दरअसल, पार्टी की यह सोच बेवजह नहीं बनी है। ध्यान रहे कि क्षेत्र में करीब 35 हजार मुस्लिम और करीब 30 हजार दलित वोट हैं। मुस्लिम कांग्रेस के अलावा किसी और को वोट नहीं देता और कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी बाकी समाज, जिसमें दलित भी शामिल है, का वोट नहीं ले पाता। इसी कारण कांग्रेस हर चुनाव में दूसरे नंबर पर रहकर हार जाती है। पार्टी इस तस्वीर को बदलने के लिए अब दलित को चेहरा बनाकर एक मजबूत समीकरण की बदौलत चुनाव में जाना चाहती है। अहम यह कि फिलहाल कांग्रेस दलितों की राजनीति खुलकर कर रही है। संविधान से लेकर डॉ अंबेडकर तक को मुद्दा बनाकर राजनीति कर रही कांग्रेस मौजूदा माहौल को अपने राजनीतिक पुनर्वास का जरिया बना लेना चाहती है। ध्यान रहे कि अरविंद प्रधान दलित बहुल सुनहरा के निवासी हैं और वहीं के प्रधान रह चुके हैं। वे कलियर विधायक हाजी फुरकान अहमद के खास हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में झबरेडा सीट पर कांग्रेस में विधानसभा टिकट के दावेदार रह चुके हैं।