उनके सामने पंगेबाजी नहीं कर पाएंगे नगर विधायक, नगर के लिए हो सकता है काम

एम हसीन

रुड़की। मेयर पद पर अपनी दावेदारी ठोकते समय सोनिया शर्मा ने क्षेत्र के विकास के जो दावे किए उनपर यकीन किया जा सकता है। सोनिया शर्मा के पति खानपुर विधायक उमेश कुमार ने विधानसभा चुनाव में जनता से जो वादे किए थे वे उन वादों के साथ खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। कई वादे वे पूरा कर चुके हैं। उमेश कुमार की राजनीति में सोनिया शर्मा का हस्तक्षेप उसी प्रकार मशहूर है जिस प्रकार शहंशाह जहांगीर के इंसाफ संबंधी फैसलों में मलिका नूरजहां का हस्तक्षेप होता था। अर्थात, उमेश कुमार की जो विकासवादी सोच उभरी है उसमें सोनिया शर्मा का भरपूर योगदान बताया जाता है। ऐसे में अगर सोनिया शर्मा मेयर चुनाव में जनता से कोई वादा करती हैं और जीत जाती हैं तो उम्मीद की जा सकती है कि वे उन पर कायम रहें और उन्हें पूरा करें। इस काम में उन्हें सहूलियत इसलिए भी रहेगी कि उमेश कुमार विधानसभा और राज्य सरकार के स्तर पर नगर के हितों का संरक्षण करेंगे और रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा निगम में वह विध्वंसक राजनीति नहीं कर पाएंगे जो उन्होंने यशपाल राणा और गौरव गोयल के खिलाफ की थी। प्रदीप बत्रा की इसी सोच का परिणाम है कि आज नगर की एक भी सड़क गढ्ढा मुक्त नहीं है जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी महीनों से कह रहे हैं कि सड़कों को गढ्ढा मुक्त करें।

प्रदीप बत्रा और उमेश कुमार दोनों विधायक हैं और लेकिन दोनों की सोच में जमीन-आसमान का अंतर है। उमेश कुमार अपने विधानसभा क्षेत्र में सिडकुल ले आए हैं जबकि प्रदीप बत्रा के क्षेत्र रुड़की की उस ड्रोन फैक्ट्री के निर्माण का अता-पता नहीं जिसका उद्घाटन 2022 के अप्रैल में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया था। जाहिर है उमेश कुमार जनता के लिए काम करने वाले आदमी हैं जबकि प्रदीप बत्रा अपना घर भरने वाले व्यक्ति हैं। ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं कि प्रदीप बत्रा के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए जो पैदल पार पथ पुल स्वीकृत हुआ था, वह गिर गया है और सोलानी का जो पुल कमज़ोर हुआ है उसका एस्टीमेट ही रुड़की-देहरादून-दिल्ली के बीच शन्टिंग कर रहा है। ऐसा इसलिए नहीं है कि डबल इंजन की सरकार के पास धन नहीं है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि विधायक प्रदीप बत्रा की सोच विकासवादी नहीं है।

प्रदीप बत्रा के क्षेत्र में महज एक उल्लेखनीय काम हो रहा है, वह है दिल्ली मार्ग पर नाले का निर्माण कार्य; यह भी इसलिए हो रहा है क्योंकि यह क्षेत्र खानपुर विधानसभा क्षेत्र से सटा हुआ है और यहां जलभराव का नुकसान खानपुर के मतदाताओं को भी हुआ था। अगर प्रदीप बत्रा यह प्रस्ताव स्वीकृत न कराते तो खानपुर विधायक उमेश कुमार इस क्षेत्र में नाले का निर्माण भी कराते ही। अर्थात, इस नाले का निर्माण होना ही था। तब यह होता कि प्रदीप बत्रा प्रकाश स्वीट्स की ब्रांच की स्थापना करते रह जाते और नाला निर्माण हो भी जाता। उमेश कुमार और प्रदीप बत्रा में एक बड़ा अंतर यह भी है कि विधायक के रूप में उमेश कुमार पर अपना घर भरने का एक भी आरोप नहीं है और प्रदीप बत्रा का पूरा अस्तित्व ऐसे आरोपों से सना हुआ है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि इन्हीं उमेश कुमार की पत्नी सोनिया शर्मा जब मेयर के रूप में रुड़की में काम करेंगी तो उनका कार्यकाल कैसा होगा!