ठहरी हुई व्यवस्था ने एकाएक पकड़ी रफ्तार
एम हसीन
रुड़की। एकाएक ठहरी हुई गतिविधियां तेज हो गई हैं। इधर खानपुर के पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन ने खनन को लेकर मोर्चा खोल दिया है; दूसरी ओर खानपुर के मौजूदा विधायक उमेश कुमार की पत्नी सोनिया शर्मा एक बार फिर लाइम लाइट में आ गई हैं। इस बार उनके नाम की चर्चा रुड़की मेयर सीट को लेकर है। बात केवल इतनी ही नहीं हुई। बात यह भी है कि इधर कांग्रेस ने अपने मंगलौर विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन को महाराष्ट्र के पार्टी सह-प्रभारी से प्रमोशन देकर दिल्ली प्रदेश का फुल-फ्लैग्ड प्रभारी बना दिया है दूसरी ओर पिछले जून महीने में मंगलौर में क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के सामने एक बेहद शानदार चुनाव लड़ने के बाद से ही आराम कर रहे भाजपा के पूर्व प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना फिर मंगलौर में अवतरित हो गए हैं।
अहमियत इस बात की है कि सक्रियता केवल इतनी ही नहीं है। सक्रियता निचले स्तर पर भी दिख रही है और ऊपरी स्तर पर भी। दिल्ली से लेकर देहरादून और रुड़की से लेकर खानपुर तक तमाम लोग सक्रिय हुए दिखाई दे रहे हैं। कहने को कहा जा सकता है कि इसका कारण केदारनाथ का चुनाव परिणाम है और यह भी कि यह महाराष्ट्र राज्य विधानसभा चुनाव का परिणाम है। बहरहाल, कुछ तो है ही जिसने यह सक्रियता पैदा की है।
अब स्थिति को यूं देखा जा सकता है कि 2022 के चुनाव में अपनी ही पत्नी रानी देवयानी के हाथों अपना भाजपा विधानसभा का टिकट गंवाने वाले प्रणव सिंह चैंपियन की नजदीकियां पिछले महीनों में स्थानीय सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ खूब दिखाई दी हैं। यहां तक सांसद निर्वाचित होने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत लंढौरा स्थित चैंपियन के महल में भी पहुंचे। ध्यान रहे कि त्रिवेंद्र सिंह रावत जब मुख्यमंत्री थे तभी चैंपियन की मुश्किलों का दस्तावेज लिखा गया था। यह अलग बात है कि भाजपा के बाहर चैंपियन की मुश्किलों को बढ़ाने वाला असली चैप्टर उनके विरोधियों ने लिखा था। इसका सबसे अहम हिस्सा उमेश कुमार को खानपुर में प्लांट किया जाना था और यह नहीं कहा जा सकता कि यह चैप्टर त्रिवेंद्र सिंह रावत या उनके ग्रुप ने लिखा था। कारण यह है कि उमेश कुमार के साथ आज भी त्रिवेंद्र सिंह रावत का 36 का आंकड़ा है। सच तो यह है कि यही आंकड़ा उन्हें चैंपियन के निकट लाया है। लेकिन जाहिर है कि दोनों की यह निकटता उनके विरोधियों को रास नहीं आई है। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही खामोश चले आ रहे उमेश कुमार की पत्नी सोनिया शर्मा अब रुड़की में मेयर चुनाव की एक संभावना बन गईं हैं। उधर करतार सिंह भड़ाना का मंगलौर आगमन भी इसी समीकरण को बल दे रहा है। फिर चैंपियन का तिलमिलाना और खनन को लेकर कोई सक्रियता दिखाना भी कोई ताज्जुब की बात नहीं है। बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि इन नए हालात में रुड़की मेयर पद आरक्षित होगा या नहीं और अभी आगे क्या-क्या सक्रियता सामने आने वाली है।