अधिशासी अभियंता की स्थिति : सिर मुंडाते ही ओले पड़े
एम हसीन
रुड़की। नगर विधायक प्रदीप बत्रा का आया पिछले 17 सालों से रुड़की के स्थानीय निकाय और लोक निर्माण विभाग पर छाया हुआ है। स्थिति यह है कि 2012 में प्रदीप बत्रा के कदम अभी विधानसभा में पड़े भी नहीं थे कि बी टी गंज में गंग नहर पर लोकार्पण के लिए लगभग तैयार खड़ा पुल न केवल गिर गया था बल्कि तीन लोगों की मौत का कारण भी बना था। बाद में बड़ी मुश्किल से 2018 में इसका पुनर्निर्माण हुआ था और नामकरण के लंबे-चौड़े विवाद के बाद इसका लोकार्पण हो पाया था। अब पीर बाबा कॉलोनी में दूसरे पुल के निर्माण का काम अभी ढंग से शुरू भी नहीं हो पाया था कि निर्माण ध्वस्त हो गया। गनीमत रही कि इस बार दुर्घटना में किसी की जान नहीं गई। खंड के नवागत अधिशासी अभियंता विपुल सैनी के लिए स्थिति “सिर मुंडाते ही ओले पड़ने” वाली हो गई है। इस दुर्घटना के अलावा भी पिछले विवाद इतने हैं कि उनके लिए हालात को नियंत्रित करना भारी हो रहा है; हालांकि वे युवा हैं, स्मार्ट हैं, लेबोरियस़ हैं एनर्जेटिक भी हैं। देखना होगा कि हालत से कैसे निपटते हैं, क्योंकि प्रदीप बत्रा तो कहीं जा नहीं रहे हैं।
प्रदीप बत्रा अप्रैल 2008 में पहली बार नगर पालिका के निर्दलीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। तत्काल बाद उन्होंने मलकपुर चौकी पर जबरन कब्जा करके विवाद के बीज बो दिए थे। हफ्तों धरना प्रदर्शन चला था और उन्हें कदम पीछे खींचना पड़े थे। लेकिन नगर पालिका में विवाद इतना बढ़े थे कि बाकायदा थाना-पुलिस तक पहुंचे थे। 5 साल ऐसे ही विवादों में गुजरे थे। इसी बीच, नपा अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल पूरा करने से पहले ही, वे विधायक निर्वाचित हो गए थे लेकिन मतगणना से पूर्व ही बी टी गंज पुल गिर गया था। दूसरी ओर उन्होंने जबरन सिंचाई अभियंता के आवास का ताला तोड़कर उस पर कब्जा कर लिया था।
फिर 2013 में मेयर चुनाव हुआ था। इससे पूर्व नगर में पेयजल और सीवर परियोजना पर काम शुरू हुआ था जो कि अभी भी विवाद का कारण बना हुआ है। अब भी जब तब कोई सड़क बैठ जाती है, कोई सड़क ढह जाती है। काम अभी पूरा नहीं हुआ है, यह एक सच है और परियोजना के चलते तमाम भवनों में दरारें आईं, गणेशपुर में तो कुछ मकान ढहे भी, जिन्हें दोबारा बनाकर देना पड़ा या मुआवजा देना पड़ा। फिर पांच साल विधायक प्रदीप बत्रा और तत्कालीन मेयर यशपाल राणा के बीच हुए संघर्ष में बीते। समापन से पूर्व बात फिर कोतवाली और इस बार जेल तक भी पहुंची। इस बार मेयर को जेल जाना पड़ा। अगला मेयर चुनाव हुआ और मेयर गौरव गोयल को साढ़े तीन साल में ही पद छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। अब नए सिरे से निकाय चुनाव की तैयारियां जारी हैं। लेकिन इससे पूर्व ही लोनिवि द्वारा बनाया जा रहा पुल ध्वस्त हो गया। प्रदीप बत्रा का 2027 तक विधायक बने रहना निश्चित है और तब तक संस्थाओं के ऊपर उनका साया बना रहना भी निश्चित है। फिर जाहिर है कि खामियाजा नगर को अधिकारियों को भुगतना पड़ेगा ही। जैसे फिलहाल अधिशासी अभियंता विपुल सैनी को तमाम जवाबदारियां करना पड़ रही हैं।