रुड़की मेयर चुनाव में है दोनों विधायकों की महत्वपूर्ण भूमिका

एम हसीन, रुड़की। यह निरंतर मिल रही हार के कारण जनता के बीच उपजी निराशा का असर है या खासतौर पर हरियाणा चुनाव परिणाम आने के बाद नित हो रही आलोचना का असर, इस बार रुड़की में मेयर टिकट के किसी एक ही दावेदार की दावेदारी पर कांग्रेस के दोनों विधायकों की सहमति नजर आ रही है। दोनों विधायक अलग-अलग अवसरों पर ही सही लेकिन सचिन गुप्ता के आयोजन में शिरकत करने पहुंचे हैं। पहले सचिन गुप्ता द्वारा सुनहरा में लगाए गए चिकित्सा शिविर में कलियर विधायक हाजी फुरकान अहमद पहुंचे और फिर सचिन गुप्ता द्वारा ही रुड़की में लगाए गए रक्तदान शिविर में मंगलौर विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन पहुंचे। यह जिले की कांग्रेसी राजनीति में आए नए बदलाव का संकेत है और निश्चित रूप से इसके सूत्रधार सचिन गुप्ता बने हैं।

सचिन गुप्ता कांग्रेस के प्रदेश महासचिव हैं और कांग्रेस में उनकी नेटवर्किंग कमाल की है। वे पर्दे के पीछे की राजनीति में 2013 में उभरे थे और 2019 में उन्होंने कांग्रेस से मेयर टिकट की उम्मीद की थी; लेकिन केवल उम्मीद। 2022 में उन्होंने पार्टी का टिकट खम ठोककर मांगा था और संघर्ष में बहुत दूर तक, अंत तक पहुंचे थे। इस पूरी प्रक्रिया में उन्होंने कांग्रेस की भीतरी राजनीति को समझा था। टिकट उन्हें नहीं मिला था लेकिन रास्ता मिल गया था। उसी रास्ते पर चलकर आज वे वहां पहुंचे हैं जब कांग्रेस के तमाम प्रदेश स्तरीय नेताओं और हरिद्वार की जिले की समूची कांग्रेसी राजनीति को वे साध चुके हैं। उनके कार्यक्रमों में क़ाज़ी निज़ामुद्दीन और हाजी फुरकान अहमद का समान रूप से शिरकत करना इसका इशारा है।

सर्वज्ञात है कि कांग्रेस के उपरोक्त दोनों नेताओं के बीच हमेशा 36 का आंकड़ा देखने में आता रहा है। कोई बड़ी बात नहीं कि इसका सबसे ज्यादा प्रभाव रुड़की की कांग्रेसी राजनीति पर पड़ता रहा है। मसलन 2019 में जिन लोगों ने पूर्व मेयर यशपाल राणा और उनकी तत्कालीन पार्षद पत्नी श्रेष्ठा राणा के चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित हो जाने के बाद उनके छोटे रेशू राणा को टिकट दिलवाने में निर्णायक भूमिका निभाई थी उनमें क़ाज़ी निज़ामुद्दीन भी एक थे और जिन लोगों का सहयोग न मिल पाने के कारण रेशू राणा हारे थे उनमें हाजी फुरकान अहमद भी एक थे। हालांकि इसका बुनियादी कारण हाजी फुरकान अहमद के साथ यशपाल राणा का व्यक्तिगत विरोध भी था लेकिन दोनों विधायकों का आपसी रिश्ता भी था। इन सारी चीजों को सचिन गुप्ता ने समझा है। स्थिति यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल उनके खुले पैरोकार हैं तो हरीश रावत ने भी हाल के लोकसभा चुनाव में उनका सहयोग लिया था। इसी प्रकार नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की सचिन गुप्ता के नाम पर खामोश सहमति है तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा की से क़ाज़ी निज़ामुद्दीन की से में है। इसी प्रकार झबरेड़ा विधायक वीरेंद्र जाती की से भी क़ाज़ी निज़ामुद्दीन की से में है। हाजी फुरकान अहमद खुद तो सचिन गुप्ता के कार्यक्रमों में दिख ही रहे हैं, उन्हें इस बात का भी अहसास है कि हरीश रावत का रवय्या सचिन गुप्ता को लेकर सकारात्मक है। इसी प्रकार भगवानपुर विषयक ममता राकेश, ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर और हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत की से भी हरीश रावत की से में है। कहने का मतलब यह है कि शायद सचिन गुप्ता ऐसा चेहरा हैं जो फिलहाल कांग्रेस की समूची राजनीति को साधे हुए हैं।