निगम चुनाव को लेकर हालांकि अभी भी फंसा हुआ है पेंच
एम हसीन
रुड़की। निगम चुनाव को लेकर हालांकि पेंच अभी भी फंसा हुआ है। रामपुर पाडली को निगम क्षेत्र में शामिल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका पर पिछले 23 सितंबर को जब सुनवाई हुई तो राज्य सरकार ने समय मांग लिया। हालांकि निकाय चुनाव को लेकर हाई कोर्ट अपने स्टैंड पर कायम है। यह इससे जाहिर है कि मसूरी नगर पालिका के परिसीमन संबंधी विवाद पर निर्णय देते हुए हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार और निर्वाचन आयोग इसका निपटारा हर हाल में 4 सप्ताह के भीतर करे। ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि राज्य सरकार ने वचन दिया है कि वह निकाय चुनाव की अधिसूचना 10 नवंबर को जारी कर देगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट तो जाहिर है कि हाई कोर्ट से बड़ा है। यही कारण है कि सबकुछ होने के बावजूद निकाय चुनाव को लेकर पेंच अभी भी फंसा हुआ है। बहरहाल, हो यह भी सकता है कि सरकार माइनस रुड़की निकाय चुनाव करा दे या सुप्रीम कोर्ट ही याचिका पर सुनवाई जारी रखते हुए एक बार फिर मौजूदा परिसीमन पर ही चुनाव कराने की अनुमति दे दे।
इस सबके बीच निकाय चुनाव के अगड़ा महारथियों को अक्रमकता पिछड़ा दावेदारों का हौसला तोड़ रही है। गत दिवस नगर में अपने नए प्रतिष्ठान सचिन इंटरनेशन होटल पर अपने पिता की पुण्य तिथि पर लगाए गए रक्तदान शिविर के अवसर पर सचिन गुप्ता ने अन्तत: अपने पत्ते खोल दिए। उन्होंने सपष्ट कर दिया कि उनकी पत्नी पूजा गुप्ता रुड़की में मेयर पद की प्रत्याशी होंगी। सचिन गुप्ता कांग्रेस के प्रदेश महासचिव हैं और जाहिर है कि उनका दावा कांग्रेस के टिकट पर ही है। दूसरी ओर, अभी तक “न न करते आ रहे चेरब जैन को भी आखिरकार प्यार हो ही गया।” अर्थात उन्होंने भी मीडिया इंटरव्यूज में कहना शुरू कर दिया है कि वे मेयर चुनाव में जाना चाहते हैं। टिकट वे जाहिर है कि भाजपा में ही मांगेंगे क्योंकि कांग्रेस के टिकट को लेकर उनका उत्साह 2017 में ही तब ही खत्म हो गया था जब उन्होंने अपने दादा पूर्व भाजपा विधायक सुरेश जैन को कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ाया था और चुनाव हारते ही वे भाजपा में पलटी मार गए थे।अब वे करीब तीन माह से जनता के बीच उतरे हुए हैं। एक ओर वे विचारक, दार्शनिक, बुद्धिजीवी बनकर राष्ट्रीय मुद्दों पर विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं; दूसरी ओर नगर निर्माण के अपने सपने मीडिया के साथ शेयर कर रहे हैं। साथ ही भंडारे करके लोगों को जिमा रहे हैं; चिकत्सा शिविर लगाकर डॉक्टरों का कारोबार सुनिश्चित कर रहे हैं और अपने मेयर प्रत्याशी होने के इरादे सार्वजनिक कर रहे हैं।
इनके बीच पूर्व मेयर यशपाल राणा और अक्षय प्रताप सिंह की दावेदारी मोटे तौर पर होर्डिंग्स के माध्यम से जाहिर हो रही है। इन दोनों अपने मंच सजाकर राजनीति का बिगुल बजाया हो, ऐसा अभी तक नहीं हुआ अलबत्ता दूसरे संगठनों द्वारा सजाए गए, खासतौर पर रामलीला, मंचों पर इनकी उपस्थिति भी नजर आई है। वरिष्ठ पार्षद रविन्द्र खन्ना बेबी की सपत्नीक दावेदारी कांग्रेस टिकट पर भी और टिकट न मिलने के बावजूद मेयर पद पर बदस्तूर बनी हुई है। इस क्रम में अधिवक्ता संजीव वर्मा की दावेदारी भी होर्डिंग्स के मध्यम से भी और कार्यक्रमों के माध्यम से भी बनी हुई है। इन दोनों की ही ऐसी दावेदारी दिख रही है जिसे आरक्षण को लेकर चली आ रही अनिश्चितता रोक नहीं रही है। बाकी ओ बी सी चेहरे अभी भी खुद को सार्वजनिक करने से परहेज ही करते दिखाई दे रहे हैं।