25 दिसंबर तक चुनाव कराने का राज्य सरकार का हाई कोर्ट को वचन

एम हसीन

हरिद्वार। राज्य में निकाय चुनाव को हालांकि अब पक्का माना जाने लगा है, लेकिन इसकी अवधि लंबी हो जाने का एक असर यह हो सकता है कि अब जब चुनाव की नौबत आए तब तक निकायों के स्वरूप में परिवर्तन आ जाए। खासतौर पर रुड़की नगर निगम के अलावा रामपुर व पाडली नगर पचायतों के स्वरूप में परिवर्तन आ सकता है। सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि अदालत में केस लड़ रहे वादियों और सरकार के सामने अपना पक्ष रख रहे लोगों की पैरवी कितनी मजबूत होती है!

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने निकायों में प्रशासक काल की अवधि को बढ़ाने के बाद हाई कोर्ट में फाइनल शपथ पत्र दाखिल करके अपना इरादा बता दिया है। इस बीच सरकार ने राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त पद पर आई ए एस सुशील कुमार की नियुक्ति कर इस दिशा में आती रही एक बाधा को दूर करने का काम भी किया है। बहरहाल, सवाल उन दिक्कतों का भी है जो दूसरे तरीके से सामने आ रही हैं।

मसलन, रुड़की नगर निगम के परिसीमन का मामला है। 2015 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मूल रूप से जो परिसीमन किया था वह चुनाव से पहले ही 2017 में सत्ता में आई भाजपा सरकार ने बदल दिया था। भाजपा सरकार ने रामपुर और पाडली गावों को बाहर कर दिया था और उनके स्थान पर मोहनपुरा व मोहम्मदपुर को शामिल कर दिया था। इसे लेकर मामला हाई कोर्ट में गया था जहां पहले सिंगल जज बेंच और फिर डबल जज बेंच ने सरकार के बदलाव के निर्णय को निरस्त करते हुए मूल परिसीमन को ही सही करार दिया था। लेकिन अदालती लड़ाई खत्म नहीं हुई थी और बात सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने परिसीमन विवाद पर तो कोई निर्णय नहीं दिया था लेकिन भाजपा सरकार को उसके द्वारा संशोधित किए गए परिसीमन पर चुनाव कराने की अनुमति दे दी थी। चुनाव हो गया था और बोर्ड का कार्यकाल भी संपन्न होने को है। लेकिन रुड़की नगर निगम का परिसीमन विवाद अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जाहिर है कि पैरोकारों ने पिछले 5 साल में इसे निर्णीत कराने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। लेकिन अब इसमें लगातार सुनवाई चल रही है। अगली तिथि 23 सितंबर है जिस पर सुनवाई होगी।

इस बीच राज्य सरकार ने अपने स्तर पर निर्णय लेते हुए रामपुर के साथ इब्राहिमपुर व सालियर ग्राम पंचायतों को जोड़कर नई नगर पंचायत का गठन कर दिया। इसी प्रकार पाडली के साथ पनियाला ग्राम पंचायत को जोड़कर एक अलग नगर पंचायत का गठन कर दिया था। अब स्थिति यह है कि अगर सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराता है और 2015 के परिसीमन को मान्य करार देता है तो केवल रुड़की नगर निगम का ही नहीं बल्कि पाडली और रामपुर नगर पंचायतों का भी स्वरूप बदलेगा। इसमें पेंच और भी है। पेंच यह है पाडली नगर पंचायत में शामिल किए गए पनियाला गांव के लोग नगर पंचायत में नहीं रहना चाहते। भाजपा नेताओं की ही एक लॉबी इस मामले में सरकार के सामने पैरवी कर रही है कि पनियाला को पाडली से अलग कर या तो उसे वापिस ग्राम पंचायत ही बना दिया जाए या फिर अलग नगर पंचायत बनाया जाए। अब चूंकि संवैधानिक रूप से किसी ग्राम पंचायत को एक बार उच्चीकृत करने के बाद उसे वापिस ग्राम पंचायत नहीं बनाया जा सकता; इसलिए पाडली नगर पंचायत के स्वरूप में भी बदलाव आ सकता है। हालांकि अब सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि विभिन्न मामलों के पैरोकार अपने मामले की पैरवी कितनी मजबूती से कर पाते हैं!