पिछले दो साल में ग्राउंड जीरो पर जाकर किया है प्रभावी काम
एम हसीन
रुड़की। रुड़की नगर की यह हकीकत है कि यहां सीधे सीधे प्रतिस्पर्धी को लेकर विरोध की राजनीति नहीं होती। मसलन, जैसे कि विधायक भाजपा से हैं और प्रदीप बत्रा हैं तो उनके किसी क्रिया कलाप को लेकर उनके सामने चुनाव लड़ने वाला चेहरा सवाल नहीं उठाता, उनकी आलोचना नहीं करता। यहां प्रतिस्पर्धी को लेकर सवाल केवल चुनाव शुरू हो जाने के बाद ही उठाए जाते हैं।
लेकिन प्रदेश कांग्रेस महासचिव सचिन गुप्ता ने इस परिपाटी को तोड़ा है। कई मामलों में उन्होंने सीधे सीधे प्रदीप बत्रा की गतिविधियों पर सवाल उठाए हैं और उनके खिलाफ प्रदर्शन किए हैं। मसलन, हाल ही में सड़कों पर वाहनों की पार्किंग के कारण होने वाले जाम को लेकर उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया और प्रदीप बत्रा की मिल्कियत माने जाने वाले विशाल मेगा मार्ट तथा वी – 2 शॉपिंग कॉम्प्लेक्स पर ही किया। उन्होंने नगर में जाम की स्थिति के लिए प्रदीप बत्रा को ही जिम्मेदार ठहराया। बत्रा के प्रतिष्ठानों पर ही सबसे ज्यादा अतिक्रमण होता है। इसी क्रम में सचिन गुप्ता ने लगूना होटल संपत्ति मामले में भी बत्रा के खिलाफ अलख जगाई और बत्रा के अपनी बहन अंजू कपूर के साथ चल रहे संपत्ति विवाद में भी एक स्टैंड लिया।
सचिन गुप्ता का प्रदीप बत्रा के खिलाफ बोलना अहमियत रखता है। कारण यह है कि 2022 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस टिकट उन्हें मिलता मिलता रह गया था। इसके बाद यशपाल राणा अगर विरोध की राजनीति करते तो शायद सचिन गुप्ता को बहुत अधिक कामयाबी न मिलती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। स्थितियों का भरपूर लाभ सचिन गुप्ता ने उठाया और उन्होंने अपनी अहमियत चुनाव में पार्टी को भी दिखाई और चुनाव के बाद जनता को भी अपने चेहरे से भली भांति अवगत कराया। उन्होंने नगर में खुद को कांग्रेस का चेहरा बनाने के लिए पूरी मेहनत की और कामयाबी पाई। दो साल में वे ग्राउंड जीरो पर केवल कांग्रेस के वोट बैंक के बीच ही नहीं बल्कि नगर के उस इलीट क्लास के बीच भी अपना प्रभाव कायम कर चुके दिखाई दे रहे हैं जिसने प्रदीप बत्रा को नापसंद करने के बावजूद पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को महज इसलिए वोट नहीं दिया था क्योंकि उसे प्रत्याशी यशपाल राणा का बिंदास अख्खड़ स्टाइल पसंद नहीं आया था। यही कारण है कि तब प्रदीप बत्रा नेगेटिव मार्किंग के बावजूद विधायक चुन लिए गए थे।
जाहिर है कि इलीट क्लास के इस मिजाज को सचिन गुप्ता ने समझा और इसी को मद्दे नजर रखते हुए अपनी रणनीति बनाई। अहम बात यह है कि सचिन गुप्ता खुद को 2027 के विधान सभा चुनाव के लिए तैयार कर रहे हैं, क्योंकि वे इस चर्चा से नावाकिफ नहीं हैं कि रुड़की मेयर पद के आरक्षित हो जाने की संभावना है। जाहिर है कि अगर पद पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित हुआ तो सचिन गुप्ता कुछ नहीं कर पाएंगे; लेकिन अगर पद आरक्षित न हुआ तो वे मेयर टिकट के लिए खुद को कांग्रेस के सामने प्रस्तुत करेंगे और अगर पद सामान्य महिला के लिए, जैसा कि पिछली बार हरिद्वार में हुआ था, आरक्षित हुआ तो वे अपनी पत्नी पूजा गुप्ता को मैदान में लाने की कवायद करेंगे। यह केवल सचिन गुप्ता ने किया है कि अपनी राजनीति के हर कदम पर अपनी पत्नी पूजा गुप्ता को साथ रखा है। अर्थात, मेयर टिकट पर भी सचिन गुप्ता दंपत्ति का समान दावा रहने वाला है।