हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण लिख रहा नवनिर्माण की कई इबारतें
नागरिक ब्यूरो
हरिद्वार। हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण की परिधि में हाल ही में 174 गांव शामिल किए गए हैं। इससे यह जाहिर होता है कि यह जनपद की एकीकृत विकास और निर्माण इकाई बनने की राह पर अग्रसर है। अर्थात यह खुद अभी डेवलपिंग स्टेज में है और ऐसे नाजुक समय पर इसकी कमान युवा आईएएस अंशुल सिंह के हाथ में है, जिनकी अपनी कल्पनाशीलता मुख्य रूप से उन योजनाओं में दिखाई दे रही है जो जनपद में जारी हैं। अगर एक वाक्य में उपरोक्त योजनाओं की प्रगति के विषय में कहा जाए तो यह कहा जाएगा कि अंशुल सिंह प्राधिकरण के अध्यक्ष विनय शंकर पाण्डेय की देखरेख में सीएम की उस विचारधारा को मूर्त रूप दे रहे है जिसके लिए उन्हें यहां लाया गया था।
सब जानते हैं कि कभी हरिद्वार विकास प्राधिकरण के रूप में स्थापित हुई इस संस्था का दायरा महज हरिद्वार तक सीमित था, जो पहले रुड़की महानगर, फिर विभिन्न कस्बों और अब ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तारित हुआ है। यह सरकार की किसी ऐसी योजना की ओर इशारा करता है जो अभी पूरे तौर पर सार्वजनिक नहीं है।
बहरहाल, अंशुल सिंह अकेले ऐसे आईएएस अधिकारी हैं जिन्हें फुल फ्लेग्ड संस्था का उपाध्यक्ष बनने का अवसर मिला। इससे पहले इसका चार्ज जिलाधिकारी के पास ही रहने की परम्परा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब अंशुल सिंह को एचआरडीए में लाए थे तब उन्होंने कुछ अतिरिक्त जिम्मेदारियां भी अंशुल सिंह को सौंपी थी। ये जिम्मेदारियां थी लीक से हटकर निर्माण कार्य कराने की। कोई बड़ी बात नहीं कि अंशुल सिंह हरिद्वार में सौन्दर्यकरण से लेकर खेल गतिविधियों तक के लिए पार्क व कोर्ट के साथ साथ खेल मैदान भी विकसित करा रहे हैं। आमतौर पर सौन्दर्यकरण के कार्य ऐसे स्थानों पर किए जा रहे हैं जहां खाली पड़ी जगह या तो अतिक्रमण के लिए छोड़ी जा सकती है या उसका कोई सार्थक उपयोग किया जा सकता है। एच आर डी ए को लोगों की अलग अलग धारणाएं हैं। हर धारणा के पीछे लोगों के पास अपने कारण हैं। लेकिन हर चीज के दो पक्ष होते हैं। एक पक्ष वह है जिसे इस रिपोर्ट में प्रस्तुत किया गया है। अंशुल सिंह अभी युवा हैं और केवल कल्पनाशील ही नहीं बल्कि कर्मठ भी हैं। अगली रिपोर्ट उन्हीं के साक्षात्कार पर आधारित पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किए जाने की ‘परम नागरिक’ की कोशिश होगी।