ऊर्जा निगम सहायक अभियंता वरिष्ठता सूची मामले में हाई कोर्ट के निर्णय को लागू न करने का आरोप
आर एन एस
देहरादून। उत्तराखंड ऊर्जा निगम में सहायक अभियंता वरिष्ठता सूची मामले उच्च न्यायालय के आदेश को लागू न किए जाने को लेकर अवर अभियंताओं में रोष पनप रहा है। आरोप है कि उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इस संबंध में उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन की केंद्रीय कार्यकारणी की संगठन भवन माजरा में हुई बैठक में फिर से आंदोलन करने का निर्णय लिया है। बैठक में केंद्रीय अध्यक्ष आनंद रावत ने कहा कि सहायक अभियंता वरिष्ठता सूची मामले में उच्च न्यायालय ने अपना अंतिम निर्णय दे दिया है। आठ सप्ताह के भीतर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन के संज्ञान में आया है कि निगम उच्च न्यायालय के निर्णय पर स्पष्टीकरण के नाम पर फिर से मामले को लटकाना चाहता है। उन्होंने प्रबंधन को पूर्व वार्ता में हुए समझौते को याद दिलाते हुए कहा कि प्रबंधन की ओर से एसोसिएशन के साथ लिखित समझौता किया गया है कि उच्च न्यायालय के निर्णय पर ससमय का उसका अनुपालन किया जाएगा। केंद्रीय महासचिव पवन रावत ने कहा कि अभी अधिशासी अभियंता के रिक्त पदों पर प्रोन्नति आदेश जारी करने में किसी भी प्रकार की देरी उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन प्रतीक्षा में है कि यूपीसीएल प्रबंधन हाईकोर्ट के निर्णय के अनुपालन में सहायक अभियंताओं की वरिष्ठता में समस्त विसंगतियों को दुरुस्त करे एवं पूर्व में जिन अवर अभियंताओं की सहायक अभियंता के पद पर प्रोन्नति के समय वरिष्ठता उनके बैच से भिन्न हो गई थी, उसे सही किया जाए। यूपीजेईए सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने कहा कि यदि शीघ्र एसोसिएशन को न्याय नहीं मिला तो आंदोलन में सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ पूर्ण रूप से सक्रिय भागीदारी करेगा।
इस दौरान सेवानिवृत्त हुए केन्द्रीय कार्यकारणी पदाधिकारियों को भी सम्मानित किया गया। बैठक में आरके जैन जेसी, राहुल अग्रवाल, विकास चौहान, यशपाल सिंह बिष्ट, रविन्द्र सैनी, सुनील उनियाल, अतुल शर्मा, विकास कुमार, भूपेन्द्र फर्त्याल, मनोज कंडवाल, दीपक पाठक, बीएम भट्ट, नितिन तिवारी आदि मौजूद रहे। साथ ही अवर अभियंताओं को 58.33 प्रतिशत प्रोन्नति कोटा प्रदान किए जाने, 30 सितंबर 2005 तक की विज्ञप्ति से सेवा में आए कार्मिकों को पुरानी पेंशन का लाभ दिए जाने और शासन की भांति ग्रेच्युटी की सीमा 25 लाख किए जाने की भी मांग की गई।