2027 में क्या गाड़ा बेल्ट में नहीं है स्थानीय विधायक वीरेंद्र जाती को कोई उम्मीद?
एम हसीन
रुड़की। जहां तक सड़कों के निर्माण और उनके रखरखाव का सवाल है तो भगवानपुर की कांग्रेस विधायक ममता राकेश की इस मामले में प्रशंसा करना होगी। उनके विधानसभा क्षेत्र में, खासतौर पर रुड़की-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग के दक्षिण की ओर बने मार्ग हमेशा ही खासी बेहतर स्थिति में नजर आते हैं। गुर्जर, त्यागी और राजपूत प्रभाव वाले इस क्षेत्र की अधिकांश सड़कों का पुनर्निर्माण उनके खराब होने से पहले ही हो जाता है। यह मैं पिछले कई सालों से देखता आ रहा हूं। घाड़ क्षेत्र में मेरा कम जाना होता है इसलिए वहां का मुझे ज्यादा अंदाजा नहीं है। लेकिन हर प्रकार की सड़क का निर्माण भाजपा सरकार की प्राथमिकता है और ममता राकेश ने भाजपा सरकार की इस नस को जब पकड़ा है तो माना जा सकता है कि घाड में भी सड़कें ठीक ही होंगी।
लेकिन कांग्रेस के ही झबरेड़ा विधायक वीरेंद्र जाती इस मामले में मुझे फिसड्डी नजर आते हैं। वे नन्हेड़ा वाया झबरेड़ा नारसन मार्ग, जिस पर उनका अपना गांव आता है, का तो सही प्रकार रख-रखाव करा ही नहीं पा रहे हैं, रुड़की-इकबालपुर, रुड़की-नन्हेड़ा वाया माधोपुर और रुड़की-झबरेड़ा वाया लाठरदेवा मार्ग की स्थिति तो बेहद गंभीर है। इन मार्गों का रख-रखाव ही झबरेड़ा विधायक पर भारी पड़ रहा है, पुनर्निर्माण की तो बात ही क्या है। हालांकि हाल में मुझे एक सूत्र ने बताया है कि मुख्यमंत्री द्वारा हर विधायक से विकास कार्य के जो दस प्रस्ताव मांगे गए थे, उनके तहत वीरेंद्र जाती ने एक प्रस्ताव रुड़की-इकबालपुर मार्ग का भी दिया है और उसकी टेंडरिंग होने वाली है। इसके बावजूद यह सवाल अपने स्थान पर कायम है कि 2027 के मद्देनजर क्या वीरेंद्र जाती को गाड़ा बेल्ट से कोई उम्मीद नहीं है? क्या उन्हें इस बेल्ट में रहने वाले लोगों का वोट चाहिए ही नहीं?
वीरेंद्र जाती 2022 में गाड़ा बेल्ट के भरोसे ही विधायक निर्वाचित हुए थे, हालांकि तब उन्हें दलित वोट के विभाजन और किसानों के भाजपा विरोध का भी लाभ हुआ था। बहरहाल, वह पुरानी बात है। लेकिन उनके विषय में दो बातें महत्वपूर्ण हैं। एक, वे रुड़की क्षेत्र में जब किसी छोटी-मोटी, क्योंकि बड़ी सड़क तो शायद उनके कार्यकाल में कोई बनी ही नहीं, सड़क का उद्घाटन करते हैं तो बाकायदा ढोल-ढमाके के साथ उसकी रिपोर्टिंग कराते हैं, मौके पर अपना इंटरव्यू देते हैं। दूसरी यह कि वे इकलौते ऐसे विधायक हैं जिनके विषय में यह माना जाता है कि वे सत्ता के समानांतर राजनीति करते हैं। हालांकि तथ्य यह भी है कि उनके राजनीतिक गुरु और प्रमोटर, मंगलौर विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन, का मुख्यमंत्री के साथ छत्तीस का आंकड़ा माना जाता है।
बहरहाल, जहां तक रुड़की-इकबालपुर मार्ग का सवाल है तो यह मार्ग तो राज्य स्थापना के बाद कभी किसी स्थानीय विधायक ने तरीके से बनवाया ही नहीं। न बसपा विधायक रहते हुए चौधरी यशवीर सिंह ने और हरिदास ने इस मार्ग का निर्माण कराया। बाद में भाजपा विधायक रहते हुए देशराज कर्णवाल ने रुड़की-नन्हेड़ा वाया माधोपुर मार्ग का निर्माण तो इंटरलॉकिंग टाइल्स से कराया था, लेकिन रुड़की-इकबालपुर मार्ग का निर्माण उन्होंने भी नहीं कराया था। बहरहाल, एक सूत्र का कहना है कि 10 विशेष निर्माण प्रस्ताव के तहत वीरेंद्र जाती की पहल पर अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मार्ग का निर्माण कराने जा रहे हैं। लेकिन अन्य मार्गों को लेकर उनकी क्या सोच है, यह वे ही प्रेस-कॉन्फ्रेंस कर के बताएं तो पता लगे। फिलहाल तो सवाल केवल इतना है कि क्या उन्हें 2027 में गाड़ा बेल्ट से कोई उम्मीद नहीं है। या फिर वे ही किसी ऐसी योजना पर काम कर रहे हैं जिसके तहत उन्हें इस बेल्ट में वोट मांगना ही न पड़े!