किसी राजनीतिक-सामाजिक व्यक्ति ने नहीं उठाई इस बाबत मांग
एम हसीन
रुड़की। वक्त की जरूरत के तहत प्रदीप बत्रा ने मीडिया से माफ़ी तो मांग ली है और पत्रकारों को अपना भाई भी बता दिया है लेकिन इतने मात्र से ही क्या नगर विधायक के कैबिनेट में जाने की सारी अड़चनें दूर हो गई हैं? यह एक सवाल है। दूसरा सवाल यह है कि क्या रुड़की के लोग प्रदीप बत्रा के मंत्री बनने संबंधी चर्चाओं से खुश नहीं हैं? क्या रुड़की के लोग नहीं चाहते कि रुड़की को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व मिले?
यह सच अपने स्थान पर कायम है कि नगर विधायक के रूप में अपना 12वाँ साल पूरा करते-करते प्रदीप बत्रा बहुत भारी हो गए हैं। इस चर्चा ने उनका वजन और भी अधिक बढ़ा दिया है कि वे मुख्यमंत्री के निकट हैं। वे कैबिनेट में शामिल होने के इच्छुक हैं यह बार-बार सामने आता रहा है। ऐसे में जब कैबिनेट के विस्तार का चर्चा हो, हरिद्वार जनपद को कैबिनेट में स्थान हासिल न हो और उम्मीदें बढ़ रही हों तो प्रदीप बत्रा का मंत्री पद का दावेदार हो जाना बड़ी बात नहीं है।
बड़ी बात यह है कि मीडिया में भी इस बात को लेकर व्यापक चर्चा नहीं है कि बत्रा कैबिनेट में जा सकते हैं। सामान्यजन की बात करें तो आदर्श नगर-सोलानीपुरम निवासी एक पूर्व शिक्षाविद् और मुमताज अब्बास नकवी के अलावा, किसी ने भी उन्हें कैबिनेट में शामिल करने की कोई सार्वजनिक ख्वाहिश जाहिर नहीं की है। मेयर या किसी पार्षद ने, भाजपा के नगर या जिला संगठन ने, व्यक्तिगत रूप से किसी पार्टी पदाधिकारी या किसी जन-प्रतिनिधि ने ऐसा कोई वक्तव्य सार्वजनिक रूप से नहीं दिया है जिससे यह जाहिर हो कि अगर प्रदीप बत्रा की कैबिनेट में शामिल किया जाए तो नगर को कोई लाभ हो सकता है। लायंस और रोटरी जैसे जिन क्लबों के प्रदीप बत्रा खुद सदस्य हैं, नगर की जिन संस्थाओं को वे पेट्रनाइज करते हैं, उन्होंने संस्थागत रूप से या संस्थाओं से जुड़े किसी पदाधिकारी ने व्यक्तिगत रूप से ऐसी कोई राय जाहिर कभी जाहिर नहीं की कि वह प्रदीप बत्रा को मंत्री के रूप में देखना चाहता है। हालांकि यह भी सच है कि किसी ने यह भी शायद नहीं कहा है कि बत्रा को कैबिनेट में नहीं लिया जाना चाहिए। सवाल यह है कि क्या रुड़की के लोग नहीं चाहते कि उनका राज्य की कैबिनेट में प्रतिनिधित्व हो?