व्यवहारिक ज्ञान न हो तो विकास का क्या हो सकता है स्वरूप?
एम हसीन
रुड़की। राजनीति में शिक्षित होने का अपना महत्व है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय ने नगर विधायक प्रदीप बत्रा की शैक्षिक योग्यता एम ए इंग्लिश बताई थी, अलबत्ता उनके शैक्षिक प्रमाण-पत्रों की छाया प्रति प्रदान नहीं की गई थी। बहरहाल, एम ए इंग्लिश को कम शिक्षा नहीं माना जा सकता। मेरे ख्याल से मौजूदा प्रत्याशियों में शायद ही कोई इतना शिक्षित होगा। अब प्रदीप बत्रा की शैक्षिक योग्यता का व्यवहारिक परिणाम यह देखिए कि गंग नहर बीच में होने के कारण सड़कें शहर के भीतर जाम होती हैं और प्रदीप बत्रा गंग नहर पर पुल बनवा रहे हैं पीर बाबा कॉलोनी में जहां भीड़ है ही नहीं। और पुल भी कैसा? पैदल पार पथ। इससे दो में से एक चीज साबित होती है। एक, प्रदीप बत्रा का व्यवहारिक ज्ञान शून्य है। दूसरी चीज यह कि प्रदीप बत्रा जन-समस्याओं का निवारण नहीं चाहते बल्कि जन-समस्याएं हल करते हुए दिखना मात्र चाहते हैं। अगर ऐसा है तो यह और भी खतरनाक बात है। यह खतरनाक काम प्रदीप बत्रा पिछले 18 साल से, जब से वे राजनीति में आए हैं, करते आ रहे हैं। यह बात प्रदीप बत्रा के सामने चैलेंज के तौर पर रखी जा सकती है कि वे अपना एक भी ऐसा काम बताएं जिससे शहर की कोई समस्या हल हुई हो। प्रदीप बत्रा नहीं बता सकते।
जहां तक विकास का सवाल है, उसे यूं समझा जा सकता है कि रुड़की में स्टेडियम का विचार उस समय किया गया था जब छोटे शहरों में स्टेडियम जैसी चीज के विषय में सोचा भी नहीं जाता था। यह वह समय था जब रुड़की की सड़कें हमवार और साफ-सुथरी होती थी। पानी की निकासी के मुनासिब इंतेज़ाम थे। मार्ग प्रकाश की व्यवस्था उल्लेखनीय थी। जब सेवानिवृत्ति के बाद लोग रुड़की में बसना चाहते थे। तब नेहरू स्टेडियम अस्तित्व में आया था। तभी गांधी वाटिका, जो कि एक पार्क था। भी अस्तित्व में आई थी, जिसे बाद में कंक्रीट के जंगल में परिवर्तित कर दिया गया। तब रुड़की उस मॉडल का व्यवहारिक रूप था जो मोहन जोदड़ो की खुदाई में सामने आया था। अब कोई मुझे बताए कि जब हजारों साल पहले मोहन जोदड़ो बसा होगा तब क्या उसे सेंट गैब्रियल के पास आउट स्टूडेंट ने बसाया था? जिन लोगों ने आजादी के बाद जिन लोगों ने रुड़की को एक नगर में स्थापित किया था क्या वे सब के सब उच्च शिक्षा प्राप्त थे?हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि शिक्षा का महत्व नहीं है लेकिन केवल शिक्षा से योजनाओं का रास्ता नहीं निकल सकता अलबत्ता केवल व्यवहारिक ज्ञान से तरक्की का रास्ता निकल सकता है।