एशियन डेवलपमेंट बैंक परियोजना ने बदल दिया नगर का पूरा नक्शा
एम हसीन
रुड़की। हाल के गैरसैंण विधानसभा सत्र में नगर विधायक प्रदीप बत्रा ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों का बखान किया। उन्होंने कोविड काल में की गई लोगों की सेवा का उल्लेख किया। लेकिन उन्होंने नगर में अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि का उल्लेख नहीं किया। उन्होंने एशियन डेवलपमेंट बैंक पेयजल और सीवर योजना का उल्लेख नहीं किया। जबकि हकीकत यह है कि नगर में उनकी यही एकमात्र, सबसे बड़ी और पहली व अंतिम उपलब्धि है, खासतौर पर इसलिए कि इसका हासिल आज 11 साल बाद भी नगर की धंसी हुई सड़कें हैं, लोगों के गिरे हुए मकान और खड्डा युक्त रास्ते हैं। वे इसका उल्लेख करते तो उनकी सत्र के दौरान उपस्थिति में चार चांद लगते।
गौरतलब है कि प्रदीप बत्रा 2012 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे। वे चूंकि साधन संपन्न व्यक्ति हैं और विदेशों में जाकर विकास कार्यों का अध्ययन कर चुके हैं, ऐसा उन्होंने खुद बताया था, इसलिए उन्होंने सरकार में अपने प्रभाव का इस्तेमाल पहली फुरसत में दो कामों के लिए किया था। एक, रुड़की निकाय को उच्चीकृत कराते हुए नगर पालिका परिषद को नगर निगम बनवा दिया था। दूसरा, उन्होंने नगर में एशियन डेवलपमेंट बैंक के आर्थिक सहयोग से पेयजल और सीवर योजना लागू कराई थी। 300 करोड़ रुपए की इस परियोजना को उस समय महत्वकांक्षी माना गया था और निकाय चुनाव, जो कि 2013 में हुआ था, में प्रदीप बत्रा इसका लाभ उठाना चाहते थे।
बहरहाल, पेयजल योजना का कुछ नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन को सौंपा गया, जबकि सीवर लाइन का काम निजी क्षेत्र की इंफ्रा स्ट्रक्चर को दिया गया। काम की देखभाल के लिए सरकारी अभियंताओं की यूनिट बनाई गई। इस प्रकार योजना पर काम शुरू हुआ। करीब सात साल तक काम होता रहा और टूटी हुई सड़कों पर लोग परेशान होते रहे, हाथ पांव तुड़ाते रहे, चीखते चिल्लाते रहे, शोर मचाते रहे। एक बार तो नौबत ऐसी भी आई जब साइट पर काम कर रहे इंजीनियर के साथ विधायक प्रदीप बत्रा और उनके अमले ने मारपीट की और उनके खिलाफ मुकद्दमा दर्ज हुआ। गणेशपुर और माहिगीरान के लोग चिल्लाते रहे कि उनके घरों में दरारें आ रही हैं। सैकड़ों घरों में दरारें आई और दो या तीन मकान गिरे भी जिनका मुआवजा सरकार को देना पड़ा। चूंकि दोनों ही निर्माण संस्थाओं ने काम के ठेके दबंग ठेकेदारों को दिए हुए थे, जिनके संपर्क उच्च स्तरीय थे इसलिए किसी की कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई, कहीं किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। सात साल में दोनों परियोजनाओं का काम पूरा हो गया। यह अलग बात है कि आज तक भी सीवर योजना का व्यवहारिक उपयोग प्रारंभ नहीं हो पाया है।
वर्तमान स्थिति यह है कि नगर नया और पुराना दोनों रेलवे रोड जगह से धंसे हुए हैं। नई रेलवे रोड पर पूर्व सांसद राजेंद्र भाटी के आवास तथा दयाल स्टोर के सामने और पुराना रेलवे रोड पर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता मयंक गुप्ता के आवास के सामने पोस्ट ऑफिस के सामने और डी ए वी कॉलेज के सामने यही स्थिति है। इन दोनों ही मार्गों पर नगर का 50 प्रतिशत यातायात हर समय मौजूद रहता है। वैसे तो फिलहाल नगर की कोई भी सड़क गड्ढा मुक्त नहीं है। लेकिन इन दो स्थानों पर तो स्थिति बेहद गंभीर है। दिलचस्प बात यह है कि अब नगर विधायक प्रदीप बत्रा भी, नगर निगम भी और जल संस्थान भी; सभी इन सारी चीजों के लिए एडीबी परियोजना के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। दूसरी बात समस्या के हल की ओर किसी का ध्यान नहीं है। जाहिर है कि प्रदीप बत्रा अगर सत्र के दौरान अपनी इसी उपलब्धि का भी उल्लेख करते तो उनकी ख्याति और बढ़ जाती।