उमेश कुमार को क्यों पड़ी इस काम की जरूरत

एम हसीन

देहरादून। विधानसभा का गैरसैंण सत्र इस मामले में खासा महत्वपूर्ण रहा कि इसके अंतिम दिन अपना वक्तव्य प्रस्तुत करने के लिए खड़े हुए खानपुर विधायक उमेश कुमार ने उत्तराखंड में हुए तमाम घोटालों और विवादों को एक बार फिर विधानसभा के रिकॉर्ड में दर्ज कराया। इससे एक दिन पहले उन्होंने यह आरोप लगाया था कि राजधानी के विवादित बिल्डर्स गुप्ता बंधुओं ने राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार को गिराने की साजिश रची थी। उन्होंने आरोप लगाया कि गुप्ता बंधु इसके 500 करोड़ रुपए खर्च करने तक के लिए तैयार थे। उन्होंने इस संदर्भ में उन ठेकों या कामों का भी उल्लेख किया जो 2016 और 2020 में तब की राज्य सरकारों को दिए थे। उमेश कुमार ने इस मामले में गुप्ता बंधुओं को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों की अनदेखी करने के आरोप तब की सरकारों पर लगाए। अगले दिन उमेश कुमार के आरोपों का दौरा विस्तृत हो गया और उन्होंने राज्य स्थापना के बाद से उत्तराखंड में हुए घोटालों का उल्लेख सदन में कर डाला। सवाल यह है कि उमेश कुमार ने यह सब क्यों किया? जब पक्ष विपक्ष के सब विधायक अपने वेतन भत्ते बढ़वाने की कोशिशों में जुटे थे, जब पक्ष विपक्ष के विधायक सदन में पुल पुलियाओं की मरम्मत के सवाल उठा रहे थे, तब निर्दलीय विधायक उमेश कुमार यह सब क्यों कर रहे थे? बात का काफी हद तक खुलासा बाद में सामने आए कांग्रेस के धारचूला विधायक हरीश धामी के वक्तव्य से हुआ। हरीश धामी ने अपनी पार्टी पर सदन में उन्हें न बोलने देने का आरोप लगाया और अपनी ही पार्टी पर आरोप लगाया कि वह “सदन में मित्र विपक्ष” की भूमिका निभा रही थी।

दरअसल, यह सूबाई राजनीति की कड़वी हकीकत है। कड़वी हकीकत यह है कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी के तमाम राज्य स्तरीय प्रभावशाली नेता आपसी खींचतान का शिकार हैं। यह खींचतान जब तब राजनीतिक घटनाक्रमों में भी सामने आती रहती है और प्रशासनिक घटनाक्रमों में भी। हकीकत यह कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिस कैबिनेट की अध्यक्षता कर रहे हैं उस पूरी कैबिनेट की उनमें पूरी निष्ठा नहीं है; न ही पूरी कैबिनेट पर मुख्यमंत्री का सामान भरोसा है। यही स्थिति विधायक दल की है और यही स्थिति भाजपा सांसद दल की है और यही पार्टी संगठन की। कमोबेश यही स्थिति कांग्रेस की है। कांग्रेस के तमाम बड़े चेहरे हैं और वे भी संतरे की फांकों की तरह हैं। उनकी आपसी एकता समग्र रूप से नहीं बल्कि हितों के अनुरूप गुटों के रूप में है। ऐसे में यह तय करना आसान नहीं है कि विपक्षी कांग्रेस का कौन सा गुट सत्तारूढ भाजपा के कौन से गुट के साथ मिलकर राजनीति कर रहा है। फिर भी कुछ चीज़ें स्पष्ट हैं। जैसे कांग्रेस के सभी गुट एक मुद्दे पर एकमत हैं कि कैसे भी हो, हरीश रावत को बेअसर किया जाए। इसी प्रकार भाजपा के सभी गुट आपसी संघर्ष के बीच भी पुष्कर सिंह धामी के विरोध में एक जुट हैं। यही वह चीज है जो उमेश कुमार ने अपने वक्तव्य से रेखांकित की है। जरा ध्यान दिया जाए कि उन्होंने 2016 की सत्ता का हवाला दिया जब सरकार कांग्रेस की थी और मुख्यमंत्री हरीश रावत थे तथा 2017 के बाद की सरकार के क्रिया कलाप पर सवाल उठाए जब सरकार भाजपा की और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, जो कि मौजूदा हरिद्वार सांसद हैं, थे। गुप्ता बंधुओं के संदर्भ में त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर एक वर्ग उंगली उठाता रहा है और पिछले दिनों बात यहां पहुंची थी कि खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही इस बाबत प्रेस वक्तव्य जारी कर अपना पक्ष रखा था।

बहरहाल, अगले ही दिन जब उमेश कुमार ने अपना वक्तव्य दिया तो उसकी रेंज में 2012 भी आ गया जब सरकार कांग्रेस की थी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा थे। बहुगुणा अब भाजपा में हैं और मुख्यमंत्री विरोधी मुहिम का हिस्सा बताए जा रहे हैं। साथ ही उमेश कुमार के वक्तव्य की रेंज में 2009 – 2011 की वह भाजपा सरकार भी आ गई जब मुख्यमंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक थे। डा निशंक को भी मुख्यमंत्री विरोधी मुहिम का हिस्सा बताया जा रहा है। अहम बात यह है कि उपरोक्त तमाम नाम भाजपा के हैं और साफ दिखता है भी राड भाजपा की भीतरी है। लेकिन इसमें छौंक कांग्रेस का भी है उमेश कुमार के ही नहीं बल्कि कांग्रेसियों के भी मुख्य निशाने पर हरीश रावत हैं जो कि हरिद्वार में त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने चुनाव हारने के बाद आम खाने के लिए उन्हीं के घर पहुंच गए थे। और इस पर कांग्रेसियों ने जब आपत्ति की थी तो उन्होंने आक्रामक होते हुए कांग्रेसियों की ही कलाई खोल दी थी। संक्षेप यह है कि जाहिरा तौर पर निर्दलीय उमेश कुमार ने सूबे की 24 साल की राजनीति पर चर्चा की है लेकिन हकीकत में उन्होंने मुख्यमंत्री के विरोधियों को उनकी हकीकत बताई है। उन्होंने वह काम किया है जो मुख्यमंत्री के समर्थक भाजपा विधायकों को करना चाहिए था लेकिन मुख्यमंत्री समर्थक भाजपा विधायक तो पुल मरम्मत संबंधी सवाल उठा रहे थे।