पहले सौ दिन में भावी क्रिया-कलाप का खाका खींच रहे अध्यक्ष गुलबहार

एम हसीन

रुड़की। क्रिया-कलाप के बोर्ड पर नगर पंचायत भगवानपुर का नाम इस मायने में कहीं अलग दर्ज किया जाना चाहिए कि वह पारदर्शिता की एक नई शुरुआत के साथ आगे बढ़ रही है। निविदाओं के प्रकाशन को लेकर इस नगर पंचायत ने अपने कार्यकाल में जो मानक स्थापित किया है उससे न केवल नगर पंचायत के कार्यों की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि उसकी आय में भी वृद्धि होगी। निविदाओं में प्रतिस्पर्धा होगी तो पंचायत विकास के अतिरिक्त काम करा सकने की स्थिति में होगी। और……और ठेकेदारों के माफियावाद के सामने उपेक्षित रहने वाले ठेकेदारों के लिए भी काम के रास्ते खुलेंगे, जिससे स्थानीय ठेकेदारों को काम करने के अवसर प्रदान किए जाने के मुख्यमंत्री के लक्ष्य की प्राप्ति होगी। बेशक इसके लिए नगर पंचायत का मौजूदा निर्वाचित बोर्ड, जिसके अध्यक्ष गुलबहार हैं, बधाई का पात्र है। बात केवल इतनी सी है कि यह नगर पंचायत अपनी निविदाओं का प्रकाशन बहु-प्रसारित श्रेणी के समाचार-पत्र में करा रही है। उम्मीद यह है कि उसके द्वारा प्रारंभ की गई यह परंपरा कायम रहेगी। केवल इतना ही नहीं! पंचायत का निजाम यह भी सुनिश्चित करेगा कि निविदा प्रकाशन के मामले में उससे फिलहाल भी जो चूक हो रही है, वह आगे न हो।

विभिन्न क्षेत्रों में निर्माण कार्य कराने के लिए राज्य और केंद्र सरकारें बजट जारी करती हैं। शहरी और ग्रामीण निकायों के अपने भी आय के स्रोत होते हैं जिन्हें जन-समस्याओं के निवारण पर खर्च किया जाता है। इसके लिए एक व्यवस्था के तहत काम किया जाता है। किसी भी खरीद, विक्रय या निर्माण कार्य कराने के लिए प्रतिस्पर्धा कराई जाती है। इसी के लिए निविदा प्रकाशित कराई जाती है। निविदा प्रकाशन के लिए भी एक व्यवस्था है, लेकिन निकाय चूंकि स्वायत्तशासी संस्था होती है इसलिए निकाय आमतौर पर नियमों का पूर्ण रूप से पालन नहीं करते। मसलन, नियम है कि निविदाएं बहु-प्रसारित समाचार पत्रों के साथ स्थानीय समाचार-पत्रों में प्रकाशित कराई जाएं। अब होता यह है कि निकाय उन निविदाओं का प्रकाशन तो बहु-प्रसारित पत्रों में कराते हैं जो उन्हें बेचनी होती है। यूं नीलामी में अधिक से अधिक ठेकेदार भाग लेते हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और वस्तु का मूल्य भी बढ़ता है। लेकिन जो वस्तु निकाय को खरीदनी होती है या निर्माण कराना होता है उसकी निविदाएं निकाय बहु-प्रसारित समाचार-पत्रों में नहीं कराते। यूं निविदा अधिकतम लोगों की जानकारी में नहीं आ पाती जिससे प्रतिस्पर्धा घटती है और सप्लाई से लेकर निर्माण तक में माफियावाद पनपता है।

गुलबहार के नेतृत्व वाला भगवानपुर नगर पंचायत बोर्ड इसी माफियावाद पर चोट करता दिखाई दे रहा है। दरअसल, उपरोक्त पूरी कवायद का एक मतलब स्थानीय लोगों को रोजगार देना भी होता है। इसे यूं समझा जा सकता है कि अगर निकाय अपनी निविदाएं चुपचाप दिल्ली या देहरादून या उत्तर प्रदेश या किसी और प्रदेश या प्रदेश के किसी और जिले से प्रकाशित समाचार-पत्र में करा लेता है तो स्थानीय समाचार-पत्र का रोजगार तो छिना ही, स्थानीय ठेकेदारों का रोजगार भी छिन गया और भ्रष्टाचार तथा माफियावाद का एक बड़ा सेटअप तैयार हो गया। इसी सेटअप को तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “वोकल से लोकल” का एक विचार दिया है जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक नीति के रूप में अपनाया है। इसी नीति का पालन गुलबहार कर रहे हैं और जहां तक मेरी जानकारी है, झबरेड़ा नगर पंचायत अध्यक्ष डॉ गौरव चौधरी भी इसी नीति के तहत अपनी निविदाओं का प्रकाशन बहु-प्रसारित समाचार-पत्र में करा रहे हैं। इन दोनों निकायों के अलावा किसी और निकाय की निविदाएं कम से कम मैं ने बहु-प्रसारित समाचार-पत्र में छपी देखी नहीं।