काम करने वाले व्यक्ति की पहचान रखते हैं खानपुर विधायक
एम हसीन
लोकसभा चुनाव परिणाम में बतौर निर्दलीय 93 हजार वोटों के साथ वापिस लौटे खानपुर के निर्दलीय ही विधायक उमेश कुमार अब अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए सिडकुल की सौगात लेकर आए हैं। योजना बड़ी और उद्देश्यपरक है। यह हवा में नहीं है, यह जाहिर हो चुका है। न केवल इसके लिए ढांचागत सुविधा विकास की मद में सरकार ने 52 लाख रुपए की राशि मंजूर कर दी है, बल्कि उमेश कुमार ने सरकारी अमले को लेकर इसकी संग ए बुनियाद भी रख दी है।
2022 में उमेश कुमार का खानपुर सीट पर जीतना तात्कालिक सामाजिक और राजनीतिक कारणों के चलते हुआ था। अगर 2017 के चुनाव में खानपुर के, भाजपा के और कांग्रेस के राजनीतिक रहनुमाओं ने बसपा के तत्कालीन प्रत्याशी मुफ्ती रियासत अली के साथ हिट बिलो द बेल्ट का खेल न खेला होता, यहां के अल्पसंख्यक मतदाताओं को को उनकी बेचारगी का अहसास न कराया होता और जातीय वर्चस्व कायम करने की तरजीह न दी होती; साथ ही बड़े अंतर के साथ चौथी बार चुनाव जीतकर तत्कालीन विधायक प्रणव सिंह चैंपियन अपनी ही पार्टी के भीतर नकार न दिए गए होते तो शायद क्षेत्र का मिश्रित अवाम वह निर्णय नहीं लेता। लेकिन 2022 वाली परिस्थितियां 2027 में दोहराई नहीं जा सकेंगी, यह उमेश कुमार भी जानते हैं। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों को भुलाकर उनका फोकस फिर अपने क्षेत्र के विकास पर बन गया है। सिडकुल इसी का परिणाम है।
वैसे उमेश कुमार काम करने वाले व्यक्ति हैं, यह बात पहले ही साबित होती रही है। भले ही उन्हें राजनीति की सोच समझ कम हो, लेकिन विधायक के रूप में अपने दायित्वों को वे खूब समझते हैं; यह उनकी कार्यशैली में पहले से परिलक्षित होता रहा है। उन्होंने क्षेत्र के सामान्य विकास से आगे बढ़कर कई बड़ी समस्याओं के स्थाई समाधान के प्रयास किए हैं और अपेक्षित नतीजे भी दिए हैं, यह माने बगैर उनकी कार्यशैली का पूर्ण मूल्यांकन नहीं हो सकता। सिडकुल भी कोई आज की योजना नहीं है। इस पर भी वे पहले से काम कर रहे थे यह सब जानते हैं।