निकाय चुनाव के मद्देनजर पार्टी के बाजार भाव में आया उल्लेखनीय उछाल
एम हसीन
रुड़की। चुनाव प्रचार के मध्यकाल तक पहुंचते-पहुंचते भाजपा ने अपने लिए जीत का लक्ष्य तय कर लिया लगता है। भाजपा की स्थिति में हुए सुधार नगर के बदलते राजनीतिक वातावरण को देखकर ऐसा लगता है। ज्ञात रहे कि पिछले दो दिनों से पार्टी की चुनावी स्थिति में व्यापक सुधार नोटिस किया जा रहा है। और इसकी धमक विपक्षी प्रत्याशी के चुनाव अभियान में भी दिखाई दे रही है। पार्टी के एक भीतरी सूत्र के मुताबिक सब कुछ भाजपा हाई कमान द्वारा अपने पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं पर की गई सख्ती के कारण हो रहा है। सबसे बड़ा अंतर यह दिखाई दे रहा है कि मेयर चुनाव की राजनीति अब स्थानीय पार्टी गुटबाजों के हाथ से निकलकर ऊपर के हाथों में पहुंच गई है। बताया जा रहा है कि चुनाव अभियान को अब सीधे प्रदेश महामंत्री संगठन अजय कुमार देख रहे हैं।
पार्टी द्वारा स्पष्ट स्टैंड ले लिए जाने के बाद अब यह अब स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि भाजपा ने अपने टिकट के 38 दावेदारों के आवेदन को नकार कर एक ऐसे प्रत्याशी को मैदान में क्यों उतारा है जिसने आवेदन भी नहीं किया था और शुरू में जिसे अपेक्षाकृत कमजोर बताया गया था। इससे पार्टी की दूर-अंदेशी और नगर की राजनीति को बदलने के इरादे का अनुमान होता है। पार्टी ने एक सामान्य कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाकर न केवल कार्यकर्ता के सम्मान का संदेश दिया है, बल्कि प्रत्याशी को पार्टी की गुटबाजी से भी ऊपर उठा दिया है। यह पहला अवसर है जब प्रत्याशी पर किसी भी स्थानीय नेता का ठप्पा लगा हुआ नजर नहीं आ है। साथ ही चुनाव अभियान के आगे बढ़ने तक पार्टी ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि प्रत्याशी अनीता देवी अग्रवाल को विशुद्ध पार्टी कार्यकर्ता के रूप में देखा जाए, किसी व्यक्ति विशेष के निष्ठावान के रूप में नहीं।
साथ ही, अनीता देवी अग्रवाल की उम्मीदवारी के इस पक्ष को उभारा जा रहा है कि वे किसी भी स्थानीय नेता के लिए थ्रेट नहीं हैं। मसलन, अगर वे मेयर बनती हैं तो अगले विधानसभा चुनाव में वे विधानसभा टिकट की दावेदार नहीं होंगी, इसलिए नगर के सिटिंग भाजपा विधायक को उनसे डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन प्रदीप बत्रा को भी यह समझा दिया गया है कि अगर अनीता देवी अग्रवाल के साथ भीतरघात होता है तो पार्टी नेतृत्व के स्तर पर 2027 उन पर भारी पड़ सकता है। अहम यह है कि इसे लेकर प्रदीप बत्रा किसी भ्रम में नहीं हैं। उन्हें मालूम है कि पिछले लोकसभा चुनाव में हरिद्वार के अपने सिटिंग एम पी, जो पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी थे, का टिकट काटकर पार्टी कड़े फैसले लेने के अपने इरादे जाहिर कर चुकी है। यही संदेश पार्टी के उन अन्य पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं को भी दे दिया गया है जिन्हें लेकर पार्टी आशंकित है। कोई बड़ी बात नहीं कि इससे पार्टी कार्यकर्ता के मनोबल में उछाल आया है और उसकी सक्रियता बढ़ी है। इससे पार्टी का चुनाव अभियान सुव्यवस्थित होता नजर आ रहा है।