भाजपा ने अनीता अग्रवाल को टिकट देकर पैदा की है दिलचस्प स्थिति

एम हसीन, रुड़की। ललित मोहन अग्रवाल बड़े कारोबारी हैं। पेट्रोल पंपों के कारोबार के अलावा वे मिलिट्री के बड़े कॉन्ट्रैक्टर और सप्लायर हैं इसलिए कोई बड़ी बात नहीं कि धनपति हैं। भाजपा ने उनकी पत्नी अनीता अग्रवाल को अपना मेयर प्रत्याशी बनाया है। उनके सामने कांग्रेस के सचिन गुप्ता की पत्नी पूजा गुप्ता प्रत्याशी हैं। वे भी बड़े कारोबारी, बड़े धनपति हैं अलबत्ता वे होटल्स के कारोबार के अलावा आर्मी के बड़े कॉन्ट्रैक्टर और सप्लायर हैं। जाहिर है कि वे भी बड़े धनपति हैं।

यह संयोग है कि राजनीति में दोनों का ही सक्रिय पदार्पण 2019 के मेयर चुनाव में हुआ था। सचिन गुप्ता ने कांग्रेस और ललित मोहन अग्रवाल ने भाजपा का टिकट मांगा था। तब दोनों को ही निराशा हाथ लगी थी। लेकिन समय ठहरता नहीं। 5 साल बोर्ड के पूरे हुए और नए चुनाव की बुनियाद बनी। इस बार दोनों को ही टिकट मिल गया है। अलबत्ता सीट चूंकि सामान्य महिला है इसलिए प्रत्याशी दोनों की पत्नी हैं। दोनों को ही टिकट मिलने का सबसे बड़ा कारण उनका वैश्य होना है। रुड़की को वैश्यों की नगरी माना जाता है और व्यवस्था का सोचना यह है कि यहां मेयर वैश्य ही होना चाहिए। इसी सोच के तहत दोनों दलों ने वैश्य प्रत्याशी दिए हैं।

लेकिन दोनों में कुछ अंतर भी है। अंतर यह है कि ललित मोहन अग्रवाल की बैकग्राउंड राजस्थान से है और वे मारवाड़ी बनिए हैं। रुड़की में मारवाड़ी बनियों की मुख्य तादाद लालकुर्ती में निवास करती है। शायद यही कारण है कि ललित मोहन अग्रवाल की मुख्य रूप से सक्रियता और समाज सेवा हाल तक लालकुर्ती क्षेत्र में ही रही है। वे मुख्यरूप से वहीं की सामाजिक, धार्मिक या शैक्षिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।यह भी सच है कि लालकुर्ती का वोटर रुड़की का मेयर नहीं चुनता बल्कि कैंट बोर्ड का अध्यक्ष चुनता है। इसके विपरीत स्थिति सचिन गुप्ता की है। उनकी बैक ग्राउंड रुड़की की है और उनकी सक्रियता भी रुड़की में रही है। यहीं की वे संस्थाओं से जुड़े हैं और यहीं उनकी कर्मशीलता रही है। यह एक बारीक और बड़ा अंतर है। ललित मोहन अग्रवाल के विषय में यह कहा जा रहा है कि उन्होंने भाजपा टिकट के लिए आवेदन नहीं किया था। यह भी हकीकत है कि भाजपा में टिकट के दावेदार तीन दर्जन थे, जिन्हें ललित मोहन अग्रवाल ने सुपरसीड किया है।

भाजपा का अपना वोट बैंक है। इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि ललित मोहन अग्रवाल समग्र वोट बैंक में पिछड़ जाएंगे। ऐसा पहले हुआ हुआ है और न अब होगा। समग्र वोट बैंक में बेशक चुनाव का एक कोण ललित मोहन अग्रवाल की पत्नी अनीता अग्रवाल होंगी। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार समग्र वोट बैंक में चुनाव का एक कोण सचिन गुप्ता की पत्नी पूजा गुप्ता होंगी। लेकिन वैश्य समुदाय में ललित मोहन अग्रवाल को अपना समर्थन खुद साबित करना होगा। चुनाव क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा है और वैश्यों की संख्या इनमें मुश्किल से 10 हजार होगी। इन 10 हजार मतदाताओं का अलावा हर मतदाता को भाजपा या कांग्रेस या किसी और को चुनना है। केवल वैश्य मतदाता की बाध्यता होगी कि वे या अनीता अग्रवाल को चुनें या पूजा गुप्ता को। उनका एकमुश्त मतदान, जैसे 2019 में गौरव गोयल के पक्ष में हुआ था, एकतरफा होना लाजमी होगा। ललित मोहन अग्रवाल रुड़की के वैश्य समाज की पहली पसंद हैं यह उन्हें 23 जनवरी को मतपेटियों में साबित करना होगा।