पहली सूची में मंगलौर से लेकर पीरान कलियर तक का नाम शामिल नहीं
एम हसीन
रुड़की। अगर हरिद्वार जिले की बात करें तो भाजपा के लिए हालात केवल हरिद्वार-रुड़की जैसे हिंदू बहुल क्षेत्र में ही बढ़िया नहीं है बल्कि मंगलौर जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भी बहुत शानदार हैं। अगर सूत्रों की बात यकीन किया जाए तो अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मंगलौर में कांग्रेस प्रत्याशी बनाए गए चौधरी इस्लाम के अलावा जितने भी दावेदार, वे चाहे किसी दल में हैं निर्दल, हैं उनमें ऐसा कोई नहीं जो भाजपा के सीधे संपर्क में ना हो। बताया तो यहां तक जाता है कि लगभग सभी दावेदार सीधे-सीधे भाजपा के टिकट पर भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं। अहम बात यह है की यूं चुनाव को लेकर अपने सरगर्मियां दिखा रहे दावेदारों में उन लोगों का नाम शामिल नहीं है जिनका पैनल बनाकर स्थानीय भाजपा मंडल ने प्रत्याशी बनाने के लिए हाई कमान को भेजा है। संक्षेप में यूं कहा जा सकता है कि 95 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले इस निकाय में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा चेहरे मौजूद हैं और उनमें एक भी गैर-मुस्लिम नहीं है। इससे यह पता लगता है कि भाजपा ने पिछले 8 साल की सत्ता में पार्टी ने जन समर्थन के मामले में कितना कुछ कमा लिया है।
और बात केवल मंगलौर की नहीं है। तीन सदस्यीय पैनल बनाने लायक नाम तो भाजपा के पास पीरान कलियर, रामपुर और सुलतानपुर कुन्हारी में भी हैं। पाडली में तो पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के जिलाध्यक्ष बहरोज आलम खुलकर टिकट मांग रहे हैं। इसी प्रकार मंगलौर में जमीर हसन अंसारी भाजपा का जाना-पहचाना चेहरा हैं। पीरान कलियर में अगर सीट का आरक्षण न हो गया होता तो पूर्व वक्फ बोर्ड अध्यक्ष राव काले खां के परिवार से किसी का नामांकन आना लाजमी था। यही स्थिति रामपुर की है जो हालांकि कलियर के कांग्रेस विधायक हाजी फुरकान अहमद का गृह निकाय है। यहां से भी पैनल तो गया ही है। इसके बावजूद भाजपा ने इन क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। सवाल उठ रहा है कि क्यों? क्या इसलिए कि मुस्लिम बहुल निकायों में भी उसे टिकट की घोषणा करने के बाद बगावत की आशंका है या पार्टी इनमें टिकट पर चुनाव लड़ने की बजाय निर्दलीयों को अपना समर्थन देकर लड़ाना चाहती है? क्या भाजपा इन निकायों को भी एकतरफा जीतकर देशभर को एक सन्देश देना चाहती है?