हफ्तों से जारी है बैठकों का, महफिलों का, दावतों का सिलसिला
एम हसीन
मंगलौर। विधानसभा उप चुनाव का परिणाम आने के बाद से ही मंगलौर मीडिया के फोकस में नहीं है। लेकिन है भी। सोशल मीडिया पर चलने वाले पोर्टल या ट्यूटूब चैनलों पर निकाय चुनाव के भावी उम्मीदवारों के वादे, इरादे लगातार गूंज रहे हैं। यह अलग बात है कि उनका प्रसार नगर की सीमाओं के भीतर ही हो रहा है। नगर के सियासी फलक को हासिल कर लेने के लिए फिलहाल कितने युवाओं ने इरादा कायम किया हुआ है, इसकी गिनती भी मुश्किल है। लेकिन बात केवल मीडिया पर साक्षात्कार देने मात्र तक सीमित नहीं है। बात नित सज रही महफिलों की भी है, नित हो रही दावतों की भी और नित हो रही बैठकों की भी है।
जैसा कि सभी जानते हैं कि प्रदेश में निकाय चुनाव पिछले नवंबर माह से ही प्रतीक्षित है। किसी न किसी कारण से चुनाव टलता आ रहा है जबकि चुनाव को लेकर लोगों की अधीरता बढ़ती जा रही है। मामला हाई कोर्ट में है और हाई कोर्ट ने सरकार से 20 अगस्त को चुनावी कार्यक्रम मांगा हुआ है। ऐसे में लोगों को उम्मीद बंध रही है कि अब तो चुनाव हो ही जाना है। इसके लिए प्रत्याशियों के स्तर पर तैयारियां लगातार जारी हैं। हालांकि चुनाव हरिद्वार जिले के अन्य निकायों में भी होना है लेकिन जितना जोश मंगलौर में देखने में आ रहा है इतना कहीं और नहीं है। मंगलौर की स्थिति यह है कि यहां ज्यादातर लोग मजदूर या कारोबारी हैं जो दिन के समय अपने कामों में मसरूफ रहते हैं। यही कारण है कि यहां चुनावी माहौल आमतौर पर रात में बनता है; जब सब लोग घूमफिर कर वापिस आपने घरों को लौट जाते हैं।
यहां कि वर्तमान स्थिति यह है कि यहां अध्यक्ष पद के लिए ही पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष चौधरी इस्लाम, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि डा शमशाद, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अख्तर अंसारी के पुत्र चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी, उनके भतीजे चौधरी आमिर कलीम अख्तर, मुहीउद्दीन अंसारी, क़ाज़ी खालिद, क़ाज़ी चांद, तहसीन, इकराम के अलावा हाल के उप चुनाव में विधानसभा प्रत्याशी रहे उबेदुर्रहमान अंसारी, उनके छोटे भाई आमिर अंसारी आदि अनगिनत भावी उम्मीदवार हैं, हालांकि इनमें कई की उम्मीदवारी कंडीशनल है।