एम हसीन
मंगलौर। यह इतिहास का पहला अवसर है जब मंगलौर विधानसभा सीट पर भाजपा ने गंभीरता से चुनाव लड़ा और अपेक्षित नतीजे भी पाए। पार्टी ने 31 हजार से अधिक वोट, दूसरा दर्जा और मात्र सवा चार सौ वोटों की हार हासिल किया। उसे पहली बार मंगलौर नगर में भी 4 हजार 700 सौ वोट हासिल हुए। इसके बावजूद ऐसा नहीं लग रहा है कि पार्टी यहां निकाय चुनाव को लेकर उत्साहित है। विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी रहे करतार सिंह भड़ाना की कोई रुचि 2027 के मद्देनजर भी नगर में पार्टी को खाद पानी देने की नहीं दिखती।
जहां तक सवाल पार्टी की सामान्य गतिविधियों का है तो वे मंगलौर नगर में भी बदस्तूर जारी हैं। मसलन, कल ही पार्टी के बड़े नेता विनय रोहेला की अगुवाई में यहां “हर घर तिरंगा” और “एक पेड़ मां के नाम” आयोजन हुए; कार्यकर्ताओं को झंडे व पौधे वितरित किए गए, वृक्षोरोपण किया गया। लेकिन निकाय चुनाव के नाम पर शून्यता है। हालांकि यह भी सच है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं और संचालित की जाने वाली योजनाएं यहां भी बदस्तूर जारी हैं। उदाहरण, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यहां करीब 2 हजार मकान बनाए गए हैं, मातृत्व कल्याण योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, मुफ्त राशन योजना, विभिन्न पेंशन योजनाएं आदि सभी यहां भी सामान्य रूप से जारी हैं। लेकिन उन पर एक उपलब्धि के रूप में पार्टी की मुहर लगाने वाला, उनका श्रेय लेने वाला कोई चेहरा नहीं है। न पार्टी के पास यहां कोई विधायक है न नगर पालिका अध्यक्ष और न ही इन पदों पर चुनाव लड़ा कोई चेहरा।
देखा जाए तो पार्टी के पास नगर में ले दे कर मात्र एक चेहरा, जमीर हसन अंसारी, है लेकिन ऐसा दिखता है कि उन्हें भी पार्टी में कोई छूट नहीं, कोई संरक्षण नहीं है। हालंकि जमीर हसन अंसारी अपने आप में पार्टी की एक उपलब्धि माने जा सकते हैं। कारण यह है कि अंसारी बिरादरी को भाजपा के चुनाव निशान पर मुहर लगाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती यह इतिहास में दर्ज है। यह उपलब्धि कलीम अख्तर अंसारी ने पार्टी टिकट पर निकाय चुनाव लड़कर 2008 में दर्ज कराई थी और ऐसा तब हुआ था जब अंसारी बिरादरी के गैर भाजपाई दिग्गज हाजी सरवत करीम अंसारी न केवल जीवित थे, बल्कि सक्रिय थे और अपनी व अंसारी बिरादरी की राजनीति को तराश रहे थे। जबकि आज तो हाजी हयात भी नहीं हैं। आज हाजी सरवत करीम अंसारी जीवित नहीं है, उप चुनाव में अंसारी बिरादरी चोट खाकर घायल है लेकिन कोई प्रभावी संरक्षण न होने के कारण बिखराव का शिकार है। ऐसे में भाजपा अगर चाहे तो अपने स्थानीय चेहरे जमीर हसन अंसारी के माध्यम से या करतार सिंह भड़ाना के माध्यम से उसे संरक्षण दे सकती है, उसे एक दिशा दे सकती है और बदले में नगर की राजनीति पर अपना नियंत्रण कर सकती है। लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। लगता है कि कम से कम निकाय चुनाव के मामले में पार्टी एक बार फिर यहां कांग्रेस बसपा को वॉक ओवर देने पर लौट आई हुई है।