निकाय चुनाव की घोषणा से पहले ही कर सकते हैं वे यह फैसला

एम हसीन

वैसे तो एक विधायक का मानना यह है कि फिलहाल उमेश कुमार को कांग्रेस में जाने की कोई जल्दी नहीं है क्योंकि सूबे में भाजपा की सरकार है, उमेश कुमार निर्दलीय विधायक हैं और उनकी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ठीक पटरी बैठती है। लेकिन यह दावा तर्क की कटौती पर इसलिए खरा नहीं उतरता क्यों कि उमेश कुमार की भी अपनी प्राथमिकताएं हैं और उन लोगों की भी आवश्यकताएं हैं जिनके उमेश कुमार के साथ सरोकार हैं। इसी कारण कयास यह लगाया जा रहा है कि उमेश कुमार किसी भी समय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं।

यह एक स्थापित सत्य है कि हरिद्वार जिले में उमेश कुमार का अंकुरण न केवल खानपुर के कद्दावर गुर्जर नेता प्रणव सिंह चैंपियन बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता हरीश रावत और पूर्व मुख्यमंत्री मौजूदा हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत विरोधी शक्तियों के सामूहिक प्रयासों से ही हो पाया था। विधानसभा चुनाव के बाद उमेश कुमार के समक्ष दोनों रास्ते थे। वे भाजपा में भी जा सकते थे और कांग्रेस में भी। लेकिन वे जा नहीं पाए थे। यह साफ नहीं है कि उन्होंने भाजपा में जाने की कोशिश की थी या नहीं लेकिन यह साफ है कि उन्होंने कांग्रेस में जाने की कोशिशें की थी। हाल के लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस टिकट के दावेदार के रूप में भी प्रस्तुत किया गया था।

लेकिन तब नतीजा कुछ नहीं निकला था। भाजपा के टिकट पर टी एस आर जीत कर नई शक्ति से लेस हो गए हैं। इसलिए अगर कोई भाजपाई उन्हें अपनी पार्टी में लाना चाहें भी तो ऐसा टी एस आर की रजामंदी के बगैर नहीं हो पाएगा और फिलहाल नहीं लगता कि टी एस आर ऐसी रजामंदी देंगे। वैसे भी यह उमेश कुमार के लिए दो किश्तियों में सवार होने जैसा होगा। लगता नहीं कि वे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और टी एस आर दोनों को समान रूप से संभाल पाएंगे। दूसरी ओर कांग्रेस के टिकट पर हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत चुनाव लड़े थे जो कि हर गए हैं। उनकी हार को आसान बनाने में उमेश कुमार ने भी अपना 92 हजार वोटों का अंशदान दिया है। इसलिए वे कांग्रेस में हरीश रावत विरोधी लॉबी की पहले से अधिक ज्यादा जरूरत बन गए हैं। फिलहाल हरीश रावत कमज़ोर हैं लेकिन वे खुद को 2027 की राजनीति के फोकस में लाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐन इसी कारण उनके पार्टी के भीतरी विरोधी उन्हें विधानसभा चुनाव से पहले ही फाइनली निपटा देना चाहते हैं। अहम यह है कि यह वही लॉबी है जिसकी मदद की जरूरत उमेश कुमार को 2027 का अपना विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भी है। यह एक कारण है जो कांग्रेस की तरफ जाने वाले रास्ते को उमेश कुमार के लिए आसान बना रहा है।

दूसरा कारण निकाय की राजनीति है। रुड़की में नगर निगम चुनाव बड़ा चुनाव होगा और यह संभावना जताई जा रही है कि उमेश कुमार अपनी पत्नी नीलम शर्मा को रुड़की की मेयर प्रत्याशी बनाने की तैयारी कर रहे हैं। उमेश कुमार की अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने की ख्वाहिश तभी आम हो गई थी जब दो साल पहले उन्होंने नीलम शर्मा को बसपा में शामिल कराकर उन्हें लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनवाया था। साफ हो गया था कि उमेश कुमार पहले नीलम शर्मा को ही लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहते थे। यह अलग बात है कि राष्ट्रीय स्तर की राजनीति के घटनाक्रम ने उन्हें खुद चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था। बहरहाल, अब संभावना जताई जा रही है कि उमेश कुमार का कांग्रेस गमन बस होने ही वाला है।