एम हसीन

रुड़की। सोलानी नदी पर रपटा निर्माण के मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारी नगर विधायक द्वारा किए गए भुगतान के दावे की तसदीक तो करते हैं लेकिन वे कैमरे पर ऑन रिकॉर्ड कुछ कहने को अब भी तैयार नहीं हैं। हालांकि इतना विभागीय अधिकारियों ने भी बताया कि रपटा के साथ साथ उसके लिए अप्रोच रोड का निर्माण भी आवश्यक है और इसी कारण सामूहिक काम का स्वीकृत एस्टीमेट 93.45 लाख रुपए का ही है। लेकिन इस मामले में घिच पिच इतनी हो गई है कि हर चीज को लेकर एक संदेह उत्पन्न होता है। संदेह इस बात से कहीं ज्यादा गहराता है कि इसे लेकर आरोप प्रत्यारोप का जो सिलसिला एकाएक शुरू हुआ था और कथित रूप से जान से मारने की धमकी से होता हुआ इस आरोप को लेकर कोतवाली में तहरीर देने तक पहुंचा था, वह सिलसिला एकाएक खत्म हो गया है। एकाएक चौतरफा खामोशी व्याप्त हो गई है। अब न नगर विधायक कुछ बोल रहे हैं और न ही पूर्व मेयर। न महानगर कांग्रेस अध्यक्ष इसे लेकर कोई सवाल उठा रहे हैं, कोई ज्ञापन प्रस्तुत कर रहे हैं, कोई जांच की मांग कर रहे हैं और न ही ग्रीनवे स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती माला चौहान अब इस पर मुखर हैं।

रपटा निर्माण का यह मामला पिछले महीने में खूब सरगर्म रह चुका है। लेकिन इस मामले में जो भी सरगर्मी हुई थी वह राजनीतिक रूप से ही हुई थी; जबकि इस संवाददाता का मानना रहा है कि इन मामले में असली अहमियत लोक निर्माण विभाग के पक्ष की है। विभाग की राय जानने के लिए इस संवाददाता ने विभाग के अधिशासी अभियंता आर के टम्टा से बात करने के लिए प्रयास भी किए और इसके लिए लंबी प्रतीक्षा भी की। अंतत: उनसे बात हुई भी; लेकिन उन्होंने यह कहकर कैमरे पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया कि वे अस्थाई रूप से इस खंड की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि काम उनके दौर का नहीं है इसलिए उन्हें इसके विषय में ज्यादा जानकारी भी नहीं है। लेकिन इतना विभाग ने फिर भी माना कि रपटे का भी अभी पूरा निर्माण नहीं हुआ है और उसकी अप्रोच रोड का निर्माण भी अभी होना बाकी है। इसलिए विभाग के अनुसार जितना काम हुआ है उसके हिसाब से ठेकेदार को पार्ट पेमेंट किया गया है। प्रदान की गई जानकारी के अनुसार स्वीकृत एस्टीमेट 18 प्रतिशत जी एस टी और करीब 10 प्रतिशत अन्य कटौतियों को लागत में जोड़कर 93.45 लाख रुपए का ही है। साथ ही विभागीय लोगों ने यह भी बताया कि ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत 19.63 लाख रुपए के बीजक में नियमानुसार करीब 10 प्रतिशत की अन्य कटौतियां करने के उपरांत जो राशि बची उसमें 18 प्रतिशत के हिसाब से जी एस टी जोड़ी गई और फिर उसका भुगतान किया गया है। उपरोक्त जानकारी हासिल करने के बाद यह सेफली कहा जा सकता है कि जिस रकम के भुगतान का दावा नगर विधायक ने किया था वह एग्जैक्ट रकम विभाग ने ठेकेदार को भुगतान नहीं की। इसमें कुछ न कुछ कम या ज्यादा है; हालांकि विभाग का इस पर तर्क यह है कि विभाग ने ग्रॉस अमाउंट के हिसाब से भुगतान किया है और वही आंकड़ा विधायक ने अपने वक्तव्य में बताया है जो कि गलत नहीं है। बहरहाल, यह अभी सस्पेंस है कि ठेकेदार ने कितना ग्रास बिल दिया, कितनी उसमें कटौतियां हुईं और फिर जी एस टी जोड़कर उसका का अंतिम आंकड़ा क्या बना।

  • सबसे अधिक संदेह उत्पन्न करने वाला मामला यह है कि विभाग का कोई अधिकारी कैमरे पर इस बाबत बात करने को तैयार नहीं है। दूसरा संदेह इस बात को लेकर भी पैदा हो रहा है कि इस मुद्दे पर पूर्व मेयर ने जितनी शिद्दत के साथ शुरुआत की थी और फिर कथित रूप से विधायक द्वारा मेयर को जान से मारने की धमकी दिए जाने का आरोप लगा था और मेयर द्वारा कथित रूप से कोतवाली में तहरीर दी गई थी, उतनी ही शिद्दत के साथ मेयर द्वारा इस पर चुप्पी भी साध ली गई है। विधायक ने भी इस मामले में उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए भुगतान के आंकड़े पर लगातार उठाए जा रहे सवाल के बावजूद कोई जवाबदारी करने की कोशिश दोबारा नहीं की। दूसरी ओर एक चर्चा यह भी है कि रपटा मामला किसी बड़े खेल की परदेदारी है। एक जानकार की बात पर यकीन किया जाए तो वास्तव में राई के पीछे पहाड़ छुपाने की बड़ी योजना है।