कांवड़ मेला हुआ सकुशल संपन्न

एम हसीन, रुड़की। शिव मंदिरों में जलाभिषेक के साथ ही शिवरात्रि का पर्व संपन्न और कांवड़ मेला सकुशल संपन्न हो गया है। साथ ही सामान्य जन जीवन पटरी पर लौटता दिखाई दे रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण राष्ट्रीय राजमार्ग पर मिल रहा है जो कि सामान्य यातायात के लिए खुल गया है।

जाहिर है कि इतनी बड़ी तादाद में आने वाले लोगों का स्वागत करने के लिए हरिद्वार प्रशासन को व्यापक व्यवस्था करना पड़ती है। अगला मसला उनकी पैदल वापसी का होता है जो कि चारों दिशाओं में न केवल राजमार्गों, मुख्य मार्गों बल्कि संपर्क मार्गों के भी माध्यम से होती है; तो स्वाभाविक रूप से व्यवस्था का दायरा और अधिक विस्तृत हो जाता है। इसी कारण जिले का सामान्य जन जीवन भी व्यापक रूप से प्रभावित होता है और सरकारी तंत्र भी मुकम्मल तौर पर कांवड़ में जुट जाता है। कुल मिलाकर 10 दिन केवल कांवड़ यात्रा होती है।

गौरतलब है कि कांवड़ मेला यूं तो शिवरात्रि से पूर्व समूचे उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली प्रदेशों में समान रूप से दिखाई देता है लेकिन इसका सबसे मुखर रूप हरिद्वार में नजर आता है जो कि इसका ओरिजिन प्लेस है, जहां हर की पैड़ी से कांवड़ यात्री गंगा जल उठाते हैं और फिर अपनी श्रद्धा के हिसाब से उसे शिव मंदिरों में अर्पित करते हैं। वैसे उनकी आस्था का मूल केंद्र मेरठ के पास स्थित पूरा महादेव का मंदिर रहा है जिसकी स्थापना बताया जाता है कि परशुराम ने की थी और परशुराम ने ही सबसे पहले गंगा जल लाकर यहां स्थित शिवलिंग का जलाभिषेक किया था। लेकिन तमाम कांवड़िए ऋषिकेश स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में भी जलाभिषेक करते हैं और तमाम ऐसे भी हैं जो हरिद्वार की बजाय सीधे गंगोत्री धाम से ही जल लाते हैं। इन सभी की वापसी वाया हरिद्वार होकर ही अपने प्रदेशों को होती है इसलिए इसका असली व्यापक रूप हरिद्वार में ही दिखाई देता है। जैसा कि पुलिस द्वारा जारी की जाने वाली सूचना में बताया गया है कि पौने चार करोड़ से अधिक कावड़ियों ने इस बार हरिद्वार से गंगाजल उठाया।

उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा को कांवड़ मेला के रूप में स्वीकार किया है और इसे सपन्न कराने की जिम्मेदारी हरिद्वार जिला प्रशासन की होती है। इस वर्ष भी जिला प्रशासन ने इसके लिए तैयारियां महीनों पहले शुरू कर दी थी और 12 जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार आकर तैयारियों की समीक्षा की थी। 22 जुलाई को जिलाधिकारी धीराज सिंह गरब्याल और एस एस पी प्रमेंद्र डोभाल ने संयुक्त रूप से गंगा पूजन कर मेले के शुभारंभ की घोषणा की थी और आज दोनों ने ही संयुक्त रूप से दक्ष प्रजापति मंदिर में जलाभिषेक कर इसके समापन की घोषणा की। इस बीच राज्य के पुलिस प्रमुख अभिनव कुमार और रेंज के आई जी ने भी यहां आकर मेला व्यवस्था की समीक्षा की थी। बहरहाल, आज मेला समापन की घोषणा कर दी गई और जन जीवन शिवरात्रि का पर्व मनाने के बाद पटरी पर लौटने लगा है।