“हाजी बनाम क़ाज़ी” पर तो क़ाज़ी विरोधी स्टैंड लेता दिखाई दे रहा है यह गुट
एम हसीन
मंगलौर। अगर तुलना 2024 के विधानसभा उप-चुनाव से की जाए तो मंगलौर विधानसभा क्षेत्र में पराजित पक्ष भाजपा या कहें करतार सिंह भड़ाना नजर आते हैं। लेकिन अगर तुलना हाल निकाय चुनाव से करें तो नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में पराजित रहने वाला पक्ष भाजपा या कहें उबेदुर्रहमान अंसारी उर्फ मोंटी दिखाई देते हैं। अब अगला नंबर विधानसभा चुनाव का है और हाल की मुख्यमंत्री की मंगलौर रैली से विधानसभा चुनाव की राजनीति की ही शुरुआत हुई है। लेकिन इस राजनीति में जाहिरा तौर पर मोंटी या उनके गुट की कोई भागीदारी दिखाई नहीं दी। न भाजपा ने मोंटी को पूछा और न ही मोंटी ने इस रैली में कोई दिलचस्पी दिखाई। सवाल यह है कि मोंटी की भूमिका विधानसभा चुनाव की राजनीति में क्या होगी? वैसे मुख्यमंत्री के “क़ाज़ी बनाम हाजी” वक्तव्य पर जब क़ाज़ी निज़ामुद्दीन ने मुख्यमंत्री की आलोचना की तो मोंटी गुट क़ाज़ी के मुखालिफ खड़ा दिखाई दे रहा है। क़ाज़ी को सलाह दी जा रही है कि वे हाजी के प्रति जताई जा रही हमदर्दी अपने पास रखें। उसकी जरूरत नहीं है।
जैसा कि सब जानते हैं कि मोंटी उन दिवंगत “हाजी” सरवत करीम अंसारी के पुत्र हैं जिनका उल्लेख मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों यहां अपने वक्तव्य में नकारात्मक रूप से किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने यहां की “हाजी बनाम क़ाज़ी” राजनीति की जड़ें उखाड़ दी हैं। इस पर स्थानीय कांग्रेस विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन की आपत्ति यह रही कि जो व्यक्ति अब इस दुनिया में ही नहीं है उससे किसी को क्या दिक्कत होनी चाहिए! क़ाज़ी की इस प्रतिक्रिया का जब हाजी के समर्थकों के बीच भी स्वागत हुआ तो भाजपा और मोंटी दोनों ही चौंके। भाजपा ने इस वक्तव्य पर सफाई दे दी लेकिन मोंटी कैंप से अभी भी इस पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई है। जो प्रतिक्रिया आई है वह काजी निजामुद्दीन के लिए नसीहत है। क़ाज़ी को कहा जा रहा है कि हाजी के प्रति हमदर्दी वे 2022 में दिखाते जब हाजी विधायक निर्वाचित हुए थे और क़ाज़ी उनके निर्वाचन के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका लेकर पहुंचे थे।
बहरहाल, मोंटी 2024 के उपचुनाव में काजी निजामुद्दीन के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में आए थे और यह हकीकत है कि नगर के भीतर वे ही क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के खिलाफ लड़े थे। ठीक इसी प्रकार 2025 के निकाय चुनाव में क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के कांग्रेस प्रत्याशी मोहिउद्दीन अंसारी के खिलाफ भी मोंटी ही जुल्फिकार ठेकेदार को बतौर प्रत्याशी लेकर आए थे, जिन्हें बाद में भाजपा ने अपना समर्थन दे दिया था। हालांकि निकाय चुनाव में पार्टी के विधानसभा प्रत्याशी रहे करतार सिंह भड़ाना की कोई भूमिका यहां देखने में नहीं आई थी। न उन्होंने कमल निशान पर यहां कोई प्रत्याशी मैदान में उतारा था और न ही भाजपा प्रत्याशी जुल्फिकार ठेकेदार के पक्ष में उन्होंने कोई भूमिका अदा की थी। यहां तक की उन्होंने जुल्फिकार ठेकेदार के पक्ष में कोई सभा तक नहीं की थी। अब हाल में अगर करतार सिंह भड़ाना ने मुख्यमंत्री के लिए यहां “धन्यवाद सभा” का आयोजन किया तो यह विधानसभा स्तर की ही राजनीति के तहत किया गया और यह भी सच है कि इसमें मोंटी की कोई उपस्थिति नजर नहीं आई; जबकि मंगलौर नगर भी मंगलौर विधानसभा क्षेत्र के ही अंतर्गत आता है। ऐसे में सवाल यह है कि अगले विधानसभा चुनाव में मोंटी की क्या भूमिका रहेगी। वैसे विधानसभा उप-चुनाव के बाद से ही मोंटी के तार भाजपा के साथ गहरे जुड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। वे भाजपा की उस सुधीर त्यागी-सुशील राठी लॉबी से जुड़ कर राजनीति कर रहे हैं जो सीधे तौर पर यतीश्वरानंद की वफादार मानी जाती है। अब यह तो ठीक है कि यतीश्वरानंद और करतार सिंह भड़ाना दोनों ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के वफादार हैं लेकिन ऐसा लगता है कि इन दोनों में आपस में समन्वय बहुत अधिक नहीं है। जाहिर है कि ऐसे में मोंटी की भूमिका को लेकर सवाल बना ही रहने वाला है।