विधायक निज़ामुद्दीन ने “क़ाज़ी बनाम हाजी” पर तत्काल किया पलटवार, महानगर अध्यक्ष ने भी उठाया गन्ना मूल्य भुगतान का सवाल
एम हसीन
मंगलौर। यह अनपेक्षित नहीं है। हरिद्वार जिले में केवल मंगलौर विधानसभा सीट कांग्रेस के कब्जे में नहीं है। कलियर पर भी सनातन काल से कांग्रेस का कब्जा है, भगवानपुर में भी कांग्रेस विधायक ममता राकेश का तीसरा कार्यकाल है। झबरेड़ा और ज्वालापुर में भी, भले ही पहली बार जीते रहे हों, लेकिन कांग्रेस के ही एम एल ए हैं। हरिद्वार देहात पर तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पुत्री अनुपमा रावत कांग्रेस विधायक हैं। और यहां हारे कौन थे? स्वामी यतीश्वरानंद जो कि हरिद्वार जिले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रतिनिधि माने जाते हैं। विपक्ष के पास हरिद्वार की और भी सीटें हैं। लेकिन मंगलौर सहित उपरोक्त जिन सीटों का उल्लेख किया गया है वे तो सीधे कांग्रेस के ही कब्जे में हैं। इसके बावजूद स्थानीय भाजपाइयों ने सी एम का सबसे पहला राजनीतिक कार्यक्रम तय कराया मंगलौर में। ऐसे में यहां के विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन इस कार्यक्रम को लेकर चौकन्ने क्यों न रहते और क्यों वे इसे लेकर पलटवार न करते! आखिर उनके भी तो राजनीतिक भविष्य का सवाल है।
क़ाज़ी निज़ामुद्दीन मंगलौर की हकीकत हैं, बावजूद इस सच के कि पिछले उप-चुनाव में वे महज ढाई सौ वोटों के अंतर से जीते थे। उनके इस परिणाम को निर्धारित करने में कांग्रेस की भीतरी राजनीति ने उनके खिलाफ क्या भूमिका अदा की थी या भाजपा की अंदरूनी राजनीति ने उनके पक्ष में क्या भूमिका अदा की थी, यह आंकलन का विषय हो सकता है, लेकिन इस पर कोई बहस नहीं कि क़ाज़ी निज़ामुद्दीन मंगलौर की राजनीतिक हकीकत हैं। जबकि विपक्ष की हैसियत ऐसी नहीं है। विपक्ष में फिलहाल तक कोई नहीं कह सकता कि भाजपा यहां की राजनीतिक हकीकत है या करतार सिंह भड़ाना यहां की राजनीतिक हकीकत हैं या क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के तमाम विरोधी यहां की राजनीतिक हकीकत हैं। यही वह अनिश्चितता है जिसके कारण सी एम ने अपने वक्तव्य में “क़ाज़ी बनाम हाजी” का उल्लेख किया और क़ाज़ी निज़ामुद्दीन ने बात पकड़ ली। उन्होंने पलटवार कर दिया कि “दिवंगत का नाम मंच से लेकर सी एम ने मर्यादा तोड़ी है।” कमाल यह है कि जीवन-पर्यंत तो हाजी यहां क़ाज़ी के विरोधी ही रहे। इसके बावजूद सी एम के वक्तव्य पर क़ाज़ी की प्रतिक्रिया का ही असर रहा कि भाजपा को तत्काल सफाई पेश करना पड़ गई। भाजपा नेता सुशील राठी को वीडियो जारी कर सी एम को डिफेंड करना पड़ा। दरअसल, हाजी के देहांत के बाद अब मंगलौर की परिस्थितियां बदल गई हैं। भले ही भाजपा को “हाजी” फैक्टर को जीवित रखने में राजनीतिक लाभ दिखाई देता हो लेकिन यहां इस दुधारी तलवार का बेतरीके इस्तेमाल हो तो यह क़ाज़ी की झोलियां भी भर सकता है। पिछले विधानसभा उप-चुनाव में ही नहीं बल्कि निकाय चुनाव में भी ऐसा हो चुका है।
ठीक इसी प्रकार महानगर कांग्रेस के अध्यक्ष राजेन्द्र चौधरी ने “परम नागरिक” से कहा, “मंगलौर क्षेत्र की सबसे बड़ी फौरी समस्या गन्ना मूल्य भुगतान है। किसानों का 12 सौ करोड़ मिलों की ओर बकाया है। इसे लेकर किसान आंदोलनरत भी हैं। बेहतर होता सी एम तत्काल भुगतान की घोषणा करते। लेकिन वे तो इस पर कुछ बोले ही नहीं।”