पालिका के खातों में अटके पड़े हैं 5 करोड़, रुके पड़े हैं तमाम अधूरे और अनहुए काम

एम हसीन

मंगलौर। नगर पालिका परिषद के हाजी दिलशाद के नेतृत्व वाले बोर्ड के दौर के करीब 5 करोड़ रुपए अभी भी पालिका के खातों में अटके पड़े हैं। उन्हें लेकर सरकार कोई निर्णय नहीं ले पा रही है। प्रभावित होने वाला पक्ष, अर्थात हाजी दिलशाद और संबंधित कामों से जुड़े ठेकेदार, भी मामले का निस्तारण कराने के लिए कोई प्रयास करते दिखाई नहीं दे रहे हैं। मामला उच्च न्यायालय में होने के कारण भी अड़चनें आ रही हैं। इस मामले की आखिरी अपडेट पिछले सितंबर महीने में आई थी जब नैनीताल से खबर आई थी कि पूर्व अध्यक्ष हाजी दिलशाद को 22 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने का आदेश हुआ था। वे हाजिर हुए या नहीं या उसके बाद इस मामले में अदालत में क्या प्रगति हुई, इसका कुछ पता नहीं लग पाया है। दूसरी ओर नगर पालिका प्रशासन की स्थिति है, जिसे यह रकम हर वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर अगले वर्ष के लिए कैरी करना पड़ती है और विकास संबंधित किसी भी स्तर पर होने वाली उच्च अधिकारियों की बैठक में इसकी जवाबदेही करना पड़ती है।

गौरतलब है कि कोविड के बाद स्थानीय विधायक हाजी सरवत करीम अंसारी, अब जन्नतनशीन, ने नगर पालिका परिषद के तमाम कामों और ठेकों को लेकर कोहराम मचाया था। उन्होंने विधानसभा में घोटालों का आरोप लगाया था और सवाल उठाया था। इसी कारण राज्य सरकार के आदेश पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने तमाम जारी निर्माण कार्य को रोक दिया था और हो चुके निर्माण कार्यों का भुगतान भी रोक दिया था। फिर जांच हुई थी जिसमें हाजी दिलशाद को अनियमितताओं का दोषी मानकर उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया गया था। दूसरी ओर, हाजी दिलशाद के कंडक्ट को लेकर एक जनहित याचिका एक स्थानीय ठेकेदार द्वारा उच्च न्यायालय में दाखिल की गई थी जिस पर कोई निर्णय अभी आया है या नहीं इसके विषय में कोई जानकारी नहीं है। याची इस विषय में कोई जानकारी देना नहीं चाहता और प्रतिवादी की स्थिति भी यही है।

सच बात तो यह है कि नगर पालिका के अधिकारी भी इस विषय में बात नहीं करना चाहते। तत्संबंधी सवाल केवल अधिकारियों की बैठक में उठता है और वहीं दफ्न हो जाता है। स्पष्ट शब्दों में कहें तो हर स्तर पर मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। लेकिन जाहिर है कि यह स्थिति बेहद विडंबनापूर्ण हो गई है कि जिन निर्माण कार्यों को हाजी दिलशाद ने प्राथमिकता के आधार पर कराना तय किया था और जो काम प्रारंभ हो गए थे वे अभी भी अटके पड़े हैं।