खुद यहां आकर लड़ेंगे चुनाव या किसी और को बनाएंगे प्रत्याशी?
एम हसीन
रुड़की। कलियर विधानसभा क्षेत्र के साथ लक्सर के बसपा विधायक हाजी मोहम्मद शहजाद का केवल लगाव ही नहीं है, बल्कि उनका यहां आधार भी है। हाल ही में संपन्न हुए नगर निकाय चुनाव में उन्होंने नगर पंचायत कलियर में अपनी बहन को अध्यक्ष निर्वाचित कराया है। वे खुद यहां दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। एक बार 2012 में जब वे बसपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में आए थे और कांग्रेस-भाजपा प्रत्याशियों के मामूली अंतर से पराजित हुए थे। दूसरी बार 2017 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आए थे और उन्होंने 24 हज़ार से अधिक वोटो का समर्थन लेकर अपने व्यक्तिगत आधार को यहां प्रमाणित किया था। इसके बावजूद 2022 का चुनाव उन्होंने कलियर की बजाय लक्सर विधानसभा सीट पर जाकर लड़ा था और वहां जीत हासिल की थी। राजनीतिक लोग मानते हैं कि हाजी शहज़ाद के लिए जो स्थिति लक्सर में है, वही कलियर में भी है; अर्थात वे यहां अगर पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे तो मुकाबले के प्रत्याशी वही होंगे। ठीक वैसे ही जैसे जब लक्सर सीट पर पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ेंगे तो मुकाबले के प्रत्याशी वही होंगे। इसके बावजूद यह चर्चा 2022 के बाद से ही चलती आ रही है कि 2027 का चुनाव वे कलियर जाकर लड़ेंगे और अब, जबकि 2025 के निकाय चुनाव में उन्होंने यहां की राजनीति में खुलकर दिलचस्पी ली है तो, इस चर्चा को और अधिक बल मिला है। सवाल यह है कि यह चर्चा कितनी वास्तविक है?
इस बाबत जानकार लोगों का कहना है कि हाजी शहजाद ने जिस रणनीति के तहत पिछली बार कलियर को छोड़कर लक्सर को अपनी कर्म स्थली बनाया था वह वजह अभी भी बरकरार है। उस रणनीति के तहत उनका लक्सर क्षेत्र में ही विधान सभा चुनाव लड़ना लाजमी है। यह इस बात से भी जाहिर है कि उन्होंने जीत के जिस लक्ष्य को सामने रखकर कलियर निकाय चुनाव लड़ाया उसी लक्ष्य को सामने रखकर लक्सर नगर पालिका और सुलतानपुर नगर पंचायत में भी प्रत्याशी लड़ाए और विजयी बनाए। ऐसे में यह तो युक्ति संगत नहीं लगता कि वे लक्सर छोड़कर कलियर वापिस लौटें लेकिन यह भी युक्ति संगत नहीं लगता कि वे कलियर में अपना प्रभाव सिमट जाने दें। ऐसे में विकल्प यही बचता है कि वे कलियर सीट पर अपना समर्थन देकर प्रत्याशी लड़ाएं। फिर सवाल यह उठता है कि उनका प्रत्याशी कौन होगा? क्या उनका कोई पारिवारिक व्यक्ति या फिर कोई ऐसा प्रभावशाली स्थानीय चेहरा जो जीतने का चुनाव लड़ने के लक्ष्य के साथ मैदान में आए! यह इस बात पर निर्भर करता है कि बसपा यहां अपना प्रत्याशी हाजी शहजाद की सिफारिश पर बनाती है या फिर उनकी सिफारिश को नजर अंदाज करके। अहमियत इस बात की भी है कि अगर टिकट के मामले में बसपा हाजी शहजाद की सहमति की परवाह न करे तो कम से कम कोई स्थानीय प्रभावशाली चेहरा तो बसपा टिकट का इच्छुक ही नहीं होगा। कोई बाहरी व्यक्ति पार्टी का टिकट फिर भी ले सकता है लेकिन वह जीत का सपना नहीं देख सकता। फिर हाजी शहजाद भी यहां कुछ अलग हटकर निर्णय ले सकते हैं।
बहरहाल, अभी कलियर के संदर्भ में हाजी शहजाद के मिजाज को तोला जा रहा है, परखा जा रहा है, उनके हालात का मूल्यांकन किया जा रहा है, खासतौर पर इसलिए कि अभी यह तय नहीं है कि चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की भीतरी राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा और बसपा की राजनीति हाजी शहजाद के अनुसार चलेगी या नहीं। साथ ही अभी यह तय नहीं है कि चंद्रशेखर रावण के नेतृत्व वाली आजाद समाज पार्टी अपने लिए क्या भूमिका तय करती है। इसके बावजूद कलियर में ऐसे एक दो चेहरे हैं जरूर जिन्होंने हाल के निकाय चुनाव में हाजी शहजाद का सहयोग भी किया और जो, अगर हाजी शहजाद उनके समर्थन की हामी भरें तो, बसपा के टिकट के लिए प्रयास कर सकते हैं।