आर्थिक अनियमितताओं के चलते नगर पालिका अध्यक्ष पद से बर्खास्त किए गए थे डॉ शमशाद के राजनीतिक प्रतिनिधि

एम हसीन

मंगलौर। स्थानीय राजनीति की गूंज राज्य विधानसभा के संपन्न सत्र में जोर-शोर से सुनाई दी। लक्सर के बसपा विधायक हाजी शहजाद ने निवर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष हाजी दिलशाद से सरकारी धन की रिकवरी का प्रकरण जोर-शोर से सत्र के चौथे दिन उठाया और उस पर चर्चा के दौरान सरकार ने आश्वासन दिया कि रिकवरी शीघ की जाएगी। विधानसभा सत्र के चौथे दिन के सत्र के एजेंडा के अलावा विधायक हाजी शहजाद ने इस मामले की पुष्टि की है। बहरहाल, इससे कहीं न कहीं स्थानीय राजनीति के गरमाने के हालात बन गए हैं। साथ ही उस भुगतान के भी लटक जाने का अंदेशा पैदा हो गया है जिनकी उम्मीद, नया बोर्ड गठित हो जाने के बाद, हाजी दिलशाद के बड़े भाई डॉ शमशाद कर रहे थे।

जान लें कि हाजी दिलशाद 2018 का निकाय चुनाव जीतकर नगर पालिका अध्यक्ष बने थे और अपना कार्यकाल पूरा होने से महज एक महीना पहले आर्थिक अनियमितताओं के आरोप में पद से बर्खास्त किए गए थे। ऐसा मंगलौर के पूर्व विधायक, अब जन्नत नशीन हाजी सरवत करीम अंसारी द्वारा विधानसभा में सवाल उठाए जाने के बाद हुआ था। तब सरकार ने डी एम हरिद्वार को मामले की जांच सौंपी थी और तमाम कार्यों और भुगतानों पर रोक लगा दी थी। बाद में नगर पालिका तो को कुछ रियायतें मिलीं थीं लेकिन हाजी दिलशाद के खिलाफ जांच जारी रही थी जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें दोषी माना गया था। उन्हें बर्खास्त किया गया था और कई भुगतानों पर अभी भी रोक चली आ रही है। इसका एक कारण यह भी है कि हाजी दिलशाद के खिलाफ एक जनहित याचिका भी उच्च न्यायालय में जारी है। साथ हाजी दिलशाद से सरकारी धन की रिकवरी की सिफारिश भी की गई थी। इसी सिफारिश पर कार्यवाही को लेकर हाजी शहजाद ने उपरोक्त प्रश्न उठाया था। इस पर हाजी शहजाद को आश्वासन मिला है।

यह भी उल्लेखनीय है कि हाल के निकाय चुनाव में हाजी दिलशाद बतौर निर्दलीय नगर पालिका अध्यक्ष पद प्रत्याशी न केवल चुनाव लड़े बल्कि उन्होंने करीब डेढ़ हजार वोट भी हासिल किए। जब यहां मुकाबला सीधा कांग्रेस समर्थित मुहीउद्दीन अंसारी और भाजपा समर्थित जुल्फिकार ठेकेदार के बीच हो रहा था और संघर्ष बेहद प्रतिष्ठापूर्ण था तब हाजी दिलशाद का डेढ़ हजार वोट लेकर आना बहुत बड़ी बात है, खासतौर पर जब करीब 5 सौ वोट उन्हीं के डमी कैंडिडेट को भी मिले, अर्थात उन्हें करीब 2 हजार वोट मिले माने जा सकते हैं। इन हाजी दिलशाद के विषय में एक अहम बात यह है कि ये अपने-आप में कोई राजनीतिक शख्सियत नहीं हैं बल्कि स्थानीय राजनीति का सियासी चेहरा हैं उनके बड़े भाई डॉ शमशाद। बताया जाता है कि डॉ शमशाद नगर पालिका के ठेकेदार भी हैं और पिछले पालिका बोर्ड में उन्होंने सीधे रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों के ठेके लिए थे जिनमें कई बड़े भुगतान हाजी दिलशाद के खिलाफ जांच शुरू हो जाने के कारण अटक गए थे। ये भुगतान अभी भी अटके हुए हैं। बहरहाल, यह भी दिलचस्प है कि जांच में हाजी दिलशाद आर्थिक अनियमितता के दोषी पाए जा चुके हैं। उनकी पद से हुई बर्खास्तगी ही इसका प्रमाण रही है। इसके बावजूद हाल के चुनाव में जब उन्होंने निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया तो किसी ने उनके नामांकन को चैलेंज नहीं किया; न ही उनका नामांकन निरस्त हुआ, जबकि नजूल भूमि पर कथित कब्जे के आरोपी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष चौधरी इस्लाम के नामांकन को चैलेंज भी किया गया और उनका नामांकन निरस्त भी हुआ। बहरहाल, उपरोक्त प्रकरण से मंगलौर की राजनीति के गरमाने के हालात पैदा हो गये हैं। माना जा रहा है कि इस राजनीति की गर्मी में 2027 में न केवल स्थानीय विधानसभा की बल्कि पूरे जिले और प्रदेश की राजनीति भी झुलस सकती है। “परम नागरिक” समय-समय पर पाठकों को हालात से अवगत कराते रहने के लिए प्रतिबद्ध है।