कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी ने लिया 2027 के लिए नया संकल्प

एम हसीन

रुड़की। चुनाव अभियान के दौरान मतदान से काफी पहले ही यह लगने लगा था कि कांग्रेस प्रत्याशी पूजा गुप्ता भले यह निकाय चुनाव नहीं जीत पा रही हैं लेकिन उनके रूप में नगर की राजनीति को एक ऐसा चेहरा मिलने जा रहा है जो कुछ कर-गुजरने को लेकर एक बेहतर सोच रखता है, जिसके बोलने में, बात को कहने के तरीके में एक अलग बानगी है। जिसकी मुद्दों की समझ कुछ अलग है। जिसके काम करने के तरीके में कोई इंग्रीडिएंट एक्स है जरूर। चुनाव अभियान के दौरान किसी और प्रत्याशी को चुनाव जितवाने में जुटे हुए लोग भी यह मान रहे थे कि पूजा गुप्ता में नेतृत्व के जो गुण हैं वे इस चुनाव में मिलने वाली हार के बावजूद उन्हें मुरझाने नहीं देंगे। उनके व्यक्तित्व की यह बानगी उस प्रेस-कॉन्फ्रेंस में भी दिखाई दी जो उन्होंने चुनाव परिणाम आने के बाद की। कोई बड़ी बात नहीं कि उनके बयान में संपन्न चुनाव परिणाम को लेकर उपजी तल्खी थी तो भविष्य के लिए नए संकल्प भी थे। सबसे बड़ी बात यही है कि उनका प्रस्तुतीकरण कल भी बेहद, और भी अधिक शानदार था। यह और अच्छा हो सकता था बशर्त उनसे कुछ अच्छे सवाल हो जाते। लगता है कि अगर पूजा गुप्ता से मीडिया की तरफ से अच्छे सवाल होंगे तो नगर को, नगर की समस्याओं को, उनके निदान को, राजनीति को, समाज को लेकर पूजा गुप्ता की सोच और अधिक मुखर हो सकती थी, कुछ सार्थक चीजें वे प्रस्तुत कर सकती थीं।

जैसा कि विभिन्न माध्यमों से जनता जान ही गई है कि हाल के मेयर चुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी के तौर पर मैदान में आई पूजा गुप्ता के तेवर बहुत तल्ख हैं। उन्होंने परिणाम को लेकर भाजपा सरकार पर तीखा निशाना साधा। बेहद नपे-तुले अंदाज में कहा कि जनमत चोरी हो गया है, ठीक वैसे ही जैसे कुछ साल पहले सड़क चोरी हो गई थी। यह दरअसल ऐसा वक्तव्य है जिसकी हकीकत चंद ही लोग जानते हैं। जाहिर है कि जिस तक पूजा गुप्ता यह संदेश पहुंचना चाहती हैं उस तक संदेश पहुंच गया होगा। चूंकि पूजा गुप्ता ने 2027 के लिए अपना संकल्प भी जाहिर किया है तो पूजा गुप्ता के दोषी तक यह संदेश भी पहुंच गया होगा कि अब वे भी जवाब देने के लिए तैयार हैं। साथ ही पूजा गुप्ता ने निर्दलीय प्रत्याशी रही श्रेष्ठा राणा को भाजपा की बी टीम बताया है। उन्होंने पुरुष समाज पर एक महिला के खिलाफ साजिशें रचने का आरोप लगाया और अगले चुनाव, जो कि 2027 में विधानसभा का होना है, में सारे हिसाब-किताब बराबर करने का संकल्प सार्वजनिक किया है। संक्षेप यह कि मौजूदा चुनाव परिणाम ने पूजा गुप्ता के नैतिक बल को कमज़ोर नहीं किया बल्कि मजबूत किया है।