इसी उम्मीद में निकाय चुनाव लड़ रहे हैं कई उम्मीदवार

एम हसीन

मंगलौर। यहां निकाय चुनाव की राजनीति दिशाहीनता का शिकार हुई नजर आ रही है। भाजपा का कोई घोषित प्रत्याशी न होने के कारण स्थिति और उलझ रही है। हालांकि बसपा प्रत्याशी के रूप में चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी मैदान में हैं, लेकिन चूंकि वे अकेले दलीय प्रत्याशी हैं और हाजी सरवत करीम अंसारी के जन्नतनशीन हो जाने और कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी इस्लाम का पर्चा खारिज होने के कारण विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन द्वारा खामोशी अख्तियार कर लेने के बाद चुनाव प्रत्याशियों के अपने व्यक्तित्वों के आकर्षण पर आ गया है। अन्य शब्दों में यूं कहा जा सकता है कि आज की तारीख में किसी प्रत्याशी का कोई बड़ा प्रायोजक नहीं है, न ही यहां दलों की राजनीति का महत्व बन पा रहा है। यही कारण है कि चुनाव की राजनीति को दिशा नहीं मिल पा रही है।

चौधरी इस्लाम का पर्चा खारिज हो जाने के बाद फिलहाल जो प्रत्याशी मैदान में हैं उनमें, जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, एक प्रत्याशी चौधरी जुल्फिकार अंसारी हैं। दूसरा नाम निवर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष डॉ शमशाद का है। तीसरा नाम जुल्फिकार ठेकेदार का है। जुल्फिकार ठेकेदार इस मामले में सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें नाममात्र का ही सही, प्रायोजक हासिल है। उनके प्रायोजक हैं उबैदुर्रहमान अंसारी उर्फ मोंटी जो कि पिछले विधानसभा उप-चुनाव में बसपा प्रत्याशी थे। वे यहां बसपा विधायक रहते हुए जन्नतनशीन हुए हाजी सरवत करीम अंसारी के ज्येष्ठ पुत्र हैं और बसपा ने उन्हें ही उनके पिता का राजनीतिक उत्तराधिकारी मानकर चुनाव लड़ाया था। लेकिन बताया जाता है कि मौजूदा चुनाव में अपना टिकट निर्धारित करने के मामले में मोंटी की राय मालूम करने की कोशिश किए बगैर बसपा ने चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इसी कारण मोंटी ने जुल्फिकार ठेकेदार को अपना प्रत्याशी बना दिया है। यहां यह ध्यान रखने वाली बात है कि विधानसभा उप-चुनाव में दोनों जुल्फिकार मोंटी के दांए-बांए चल रहे थे। एक जो और उल्लेखनीय बात यह बताई जा रही है कि मोंटी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली हुई है। इसलिए जुल्फिकार ठेकेदार भाजपा समर्थित प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन मसला यह नहीं है कि जुल्फिकार ठेकेदार भाजपा समर्थित प्रत्याशी होंगे। मसला यह है कि क़ाज़ी निज़ामुद्दीन समर्थित प्रत्याशी कौन होगा?

चर्चा यह है कि मुहीउद्दीन अंसारी को क़ाज़ी निज़ामुद्दीन अपने समर्थित प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा सकते हैं। ध्यान रहे कि मुहीउद्दीन अंसारी भी पिछले उप-चुनाव में मोंटी कैंप की राजनीति कर रहे थे और उन्हें भी उम्मीद थी कि मोंटी उन्हें अपना प्रत्याशी बनाएंगे। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसी कारण हाल तक मुहीउद्दीन अंसारी निर्दलीय नामांकन कर जन-संपर्क में जुटे हुए हैं। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि क़ाज़ी निज़ामुद्दीन अपना समर्थन निवर्तमान अध्यक्ष डॉ शमशाद को दे सकते हैं। लेकिन इसमें पेंच यह है कि चौधरी इस्लाम का पर्चा खारिज कराने का ठीकरा नगर में जिन लोगों के सिर फूटा है उनमें डॉ शमशाद भी एक हैं और यह मामला नगर में इतना संवेदनशील हो चुका है कि इस पर भाजपा के मंगलौर चुनाव प्रभारी अनीस गौड़ को सफाई तक देना पड़ी है। उन्हें कहना पड़ा है कि इसमें भाजपा का कोई हाथ नहीं है। इसी क्रम में डॉ शमशाद ने भी एक खबरिया यूट्यूब चैनल से बात करते हुए इसे एक अफवाह करार दिया है। वैसे एक सूत्र ने यह भी दावा किया है कि क़ाज़ी निज़ामुद्दीन का खामोश या मुखर समर्थन बसपा प्रत्याशी चौधरी जुल्फिकार अख्तर अंसारी को जा सकता है। यह इसलिए संभावित लगता है कि जिस एक अंसारी परिवार के साथ क़ाज़ी परिवार का राजनीतिक तालमेल बैठता रहा है वह अख्तर अंसारी परिवार ही है।