नागरिक ब्यूरो

हरिद्वार। हरिद्वार संसदीय सीट पर बसपा ने प्रत्याशी बदल दिया है। उत्तर प्रदेश की मीरापुर विधानसभा सीट से विधायक मुफ्ती कासमी को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। जाहिर है कि पार्टी का इरादा इस सीट पर दलित मुस्लिम समीकरण को हवा देना है। इस मामले में पार्टी का सोचना इसलिए गलत नहीं है क्योंकि इससे पूर्व बसपा का यह प्रयोग खानपुर विधानसभा सीट पर आंशिक रूप से सफल हो चुका है। लेकिन लोकसभा चुनाव में भी यह कोई गुल खिला पाएगा यह देखने वाली बात होगी।

गौरतलब है कि खानपुर सीट पर मुफ्ती रियासत अली 2012 के विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में आए थे और उन्होंने 18 हजार वोटों का जबरदस्त समर्थन हासिल किया था; हालांकि उनका स्थान चौथा रहा था। लेकिन इससे उत्साहित उनके समर्थकों ने उन्हें 2017 में इसी सीट पर बसपा का विधानसभा का टिकट दिला दिया था। उन्होंने मजबूत चुनाव लड़कर 40 हजार वोट हासिल किए थे लेकिन वे 16 हजार वोटों के अंतर से पराजित हुए थे। इसके बाद उन्होंने चुनावी राजनीति से किनारा कर लिया था। यह स्थिति विधानसभा चुनाव में लड़े धार्मिक नेता की है।

इसके विपरीत बसपा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में अपने तब के बहादराबाद विधायक हाजी शहजाद को प्रत्याशी बनाया था। हाजी शहजाद राजनीतिक व्यक्ति हैं लेकिन वे दलित मुस्लिम समीकरण को जमीन पर नहीं उतार सके थे और पौने दो लाख वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। उनसे ज्यादा, दो लाख, वोट भाजपा के धार्मिक प्रत्याशी महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरी को मिले थे और सवा तीन लाख वोट लेकर कांग्रेस के हरीश रावत ने यह सीट जीत ली थी। हरीश रावत की जीत में मुस्लिम मतों का प्रतिशत 50 से कम नहीं था। 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने अपने इसी प्रयोग को दोहराया था और हाजी इस्लाम को मैदान में उतारा था। लेकिन हाजी इस्लाम महज एक लाख 15 हजार वोटों पर सिमट गए थे। अर्थात उन्हें मुस्लिमों ने उतना समर्थन भी नहीं दिया था जितना हाजी शहजाद को मिल गया था।

अब तीसरी बार बसपा हरिद्वार सीट पर फिर मुस्लिम प्रत्याशी लाई है और इस बार प्रत्याशी धार्मिक पृष्ठभूमि से है। मौलाना जमील अहमद उसी दारुल उलूम के पास आउट हैं जिसके पास आउट मुफ्ती रियासत अली हैं। मुमकिन है कि मौलाना जमील अहमद को यह आश्वासन भी मुफ्ती रियासत अली उनका समर्थन करेंगे। अगर ऐसा है तो यह निर्दलीय लोकसभा प्रत्याशी उमेश कुमार के लिए खतरे की घंटी होगी। कारण खानपुर क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय ने 2022 में उमेश कुमार को एक तरफा समर्थन देकर मुफ्ती रियासत अली की हार का ही बदला लिया था और यह प्रमाणित किया था कि इस क्षेत्र के मतदाताओं पर मुफ्ती रियासत अली का भरपूर प्रभाव है।