नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर हैं पार्टी का एकमात्र चेहरा!
एम हसीन
मंगलौर। भाजपा की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि उसके नेताओं की कथनी पार्टी या सरकार की करनी से मेल नहीं खाती। मसलन, जो भाजपाई सार्वजनिक मंचों पर “गोली मारो” की भाषा बोलते हैं, अपनी निजी किचन कैबिनेट में वे भी दर्जन भर से ज्यादा मुस्लिम चेहरे रखते हैं। समाज का ढांचा ही ऐसा है कि यहां नफरत को केवल बोला जा सकता है, नफरत को जिया नहीं जा सकता। इसी प्रकार सरकार की जो योजनाएं चल रही हैं उनमें कहीं कोई सामाजिक विभेद नजर नहीं आता। सरकारी योजना चाहे प्रधानमंत्री आवास योजना हो या मुद्रा ऋण योजना, चाहे मुफ्त राशन योजना हो चाहे महिला, विधवा, वृद्धावस्था, किसान पेंशन योजना; कहीं कोई “गोली मारे जाने लायक घोषित किए जाने वाले समाज” के लोगों को कोई हाथ पकड़कर कतार से बाहर नहीं करता।
मुख्यमंत्री कन्या समृद्धि योजना, शिशु कल्याण योजना, यहां तक कि सामान्य विकास योजना को लेकर अगर कहीं कोई पूर्वाग्रह दिखाई भी देते हैं तो वे स्थानीय व्यवस्था के होते हैं; न कि भाजपा या भाजपा सरकार के। इन सारी हकीकतों के बीच तमाम ऐसे लोग भी भाजपा की राजनीति करते हैं जो पारिवारिक या सांस्कारिक रूप से भाजपाई नहीं होते; केवल वैचारिक और निष्ठागत रूप से भाजपाई होते हैं। ऐसे ही मंगलौर नगर के भाजपाई जमीर हसन अंसारी हैं जो सालों से भाजपा की राजनीति कर रहे हैं। फिलहाल चूंकि निकाय चुनाव का दौर चल रहा है इसलिए कोई बड़ी बात नहीं कि अंसारी भी अपने आपको उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं। अहमियत इस बात की है भाजपा भी उन्हें ही यहां उम्मीदवार के रूप में देख रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अंसारी स्थानीय लोगों को भाजपा की रीतियों नीतियों को मानने के लिए तैयार कर सकते हैं।
मंगलौर की एक दिलचस्प सच्चाई है और वह यह है कि यहां पार्टी कांग्रेस हो, बसपा हो या भाजपा हो; प्रत्याशी के चयन का आधार धर्म या जाति नहीं बल्कि गुट बनते हैं। मसलन, यहां की सर्वाधिक संख्या वाला मतदाता अंसारी है लेकिन 2018 में इन्हीं अंसारियों ने तेली बिरादरी के हाजी दिलशाद को चुना था, जबकि तब अंसारी बिरादरी के प्रत्याशी भी मैदान में मौजूद थे। भाजपा के प्रत्याशी से भी यहां के मतदाता को बहुत अधिक परहेज होता हो ऐसा नहीं है। कलीम अंसारी ने यहीं भाजपा के टिकट पर ही बेहद प्रभावशाली संख्या में समर्थन लेकर दिखाया था। शायद यही कारण है कि जमीर हसन अंसारी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के ख्याल को सिरे से नहीं नकार रहे हैं।