निकाय चुनाव की घोषणा के साथ ही उनके दर्जनों समर्थकों को मिल जायेगा सार्वजनिक चेहरा
एम हसीन
रुड़की। राज्य में निकाय चुनाव की घोषणा अब होनी है। घोषणा हुई तो कलियर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पीरान कलियर नगर पंचायत के अलावा इस बार इमलीखेड़ा, रामपुर और पाडली नगर पंचायतों पर भी चुनाव होगा। इन सभी नगर पंचायतों के अध्यक्ष व सभासद पदों पर जाहिर है कि एक ग्रुप कांग्रेस का भी चुनाव लड़ेगा। चूंकि कलियर क्षेत्र में समूची कांग्रेस हाजी फुरकान अहमद में ही समाहित है और यहां के राजनीतिक रूप से सक्रिय तमाम कांग्रेसी उन्हीं से जुड़े हुए हैं, तो जाहिर है कि जब वे चुनाव लडना चाहेंगे तो विधायक का आशीर्वाद भी चाहेंगे। इसके साथ ही रुड़की नगर निगम का एक बड़ा हिस्सा भी कलियर विधानसभा क्षेत्र में आता है। रुड़की में भी मेयर पद के लिए कांग्रेस प्रमुख दावेदार होगी और रुड़की में भाजपा सहित ऐसा कोई मेयर प्रत्याशी नहीं होगा जिसकी नजर किसी न किसी रूप में हाजी फुरकान अहमद पर नहीं होगी। फिर हाजी फुरकान अहमद के समर्थकों में कई ऐसे भी होंगे जो पार्षद प्रत्याशी का चुनाव लडना चाहते होंगे। उनकी भी कोई अपेक्षा या उनके लिए भी कोई जिम्मेदारी हाजी फुरकान अहमद निभायेंगे ही। कहने का मतलब यह है कि हाजी फुरकान अहमद पहली बार केवल जनता के नेता रूप में ही नहीं; अपने क्षेत्र में केवल विधायक के रूप में ही नहीं बल्कि अपने समर्थक प्रत्याशियों के नेतृत्व के रूप में, एक लीडर के रूप में भी होंगे।
कलियर सीट पर पहली बार 2012 में निर्वाचित हुए हाजी फुरकान अहमद फिलहाल क्षेत्र में अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। बतौर विधायक उनकी अपनी लोकप्रियता का यह अपने आप में एक मजबूत उदाहरण है। बेशक इसमें क्षेत्र के समीकरण की भी भूमिका है और इस बात की भी कि आमतौर हाजी फुरकान अहमद राजनीति की तिकड़मबाजियों में ज्यादा नहीं उलझते, वे नेतृत्व की कलाबाजियां से बचकर रहते हैं जिनके लिए राजनीति को जाना जाता है। वे तोड़ फोड़ की राजनीति करने की बजाय अगर करते भी हैं तो खामोश समन्वय की राजनीति करते हैं। वे लोगों से मिलने जुलने, लोगों के सुख दुख में शामिल होने और अपने क्षेत्र के विकास कार्यों पर ज्यादा फोकस रखते हैं। राजनीति केवल इतनी करते हैं कि उनके क्षेत्र में बस उन्हें ही कांग्रेस माना व समझा जाए। इसमें वे सफल हैं। यही कारण है कि पूरे क्षेत्र में जितने भी कांग्रेसी हैं वे सब हाजी फुरकान अहमद का ही ग्रुप है।
उपरोक्त स्थिति का एक नतीजा यह होता है कि आमतौर पर हाजी फुरकान अहमद अपने समर्थकों को अपना निर्णय अपने आप लेने का अधिकार देते आए हैं। मसलन, पिछले निकाय चुनाव में रुड़की मेयर का टिकट निर्धारण कराने में उन्होंने कोई भूमिका नहीं निभाई थी। यही कारण है कि पार्टी के मेयर प्रत्याशी रेशू राणा को विजयी बनाने की कोई जिम्मेदारी भी उन पर अयाद नहीं हुई थी। इसी प्रकार पीरान कलियर नगर पंचायत अध्यक्ष पद के किसी प्रत्याशी को उन्होंने खुला समर्थन दिया ही नहीं था। इसके विपरीत कई पार्षद व सभासद प्रत्याशी तो इसीलिए हार और जीत गए थे कि वे हाजी के कैंप से नजदीक जुड़े थे या फिर नहीं जुड़े थे। आमतौर पर पिछले जिला पंचायत चुनाव में भी उनकी यही भूमिका रही थी। अब देखना यह होगा कि उनकी यही भूमिका बरकरार रहेगी या वे इस बार नेतृत्व के लिए भी आगे आएंगे!