लेकिन सोलानी नदी की हदों को क्यों बांध देना चाहते हैं नगर विधायक?

एम हसीन, रुड़की। सोलानी नदी पर आदर्श नगर में बनाया गया रपटा नगर विधायक प्रदीप बत्रा से लेकर लोक निर्माण विभाग तक की कार्यशैली पर सवाल उठा रहा है। अहमियत इस बात की भी है कि यहां सोलानी नदी का रेगुलर पुल कमज़ोर घोषित हो जाने के बाद यह पहला रपटा नहीं बनाया गया है। इससे पहले भी एक रपटा पिछली बरसात से पहले बनाया गया था जो सरकारी धन की बरबादी साबित हुआ था। उसका कोई औचित्य आज तक भी लोक निर्माण विभाग साबित नहीं कर पाया है। ऐसे में प्रदीप बत्रा ने निवर्तमान मेयर द्वारा उठाए गए सवाल को तो औचित्यहीन बता दिया लेकिन सवाल तो और लोग भी उठा रहे हैं। आदर्श नगर में मचे हुए भूमि के माफिया वाद का मामला तो लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच ही रहा है।

यह एक ज्ञात तथ्य है कि दिल्ली हरिद्वार के बीच फोर लेन वे निर्माण के बाद सोलानी नदी पर बने पुल को दो साल पहले कमज़ोर घोषित कर दिया गया था और भारी वाहनों को रुड़की में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी। लेकिन रोडवेज की बसें भी चूंकि रुड़की को बाय पास करते हुए वाया नगला कोर भेजी जा रही थी तो स्वाभाविक रूप से रुड़की से हरिद्वार जाने वाले लोगों को दिक्कत आने लगी थी। इसी कारण सोलानी पुल के निर्माण की मांग अभी भी जारी है। इसे लेकर कलियर विधायक हाजी फुरकान अहमद और रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा तीन सत्रों में विधान सभा में सवाल उठा चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक शायद पुल की डी पी आर भी तैयार नहीं हो पाई है, हालांकि इसका अपडेट दो दिन से छुट्टी होने के कारण नहीं मिल सका। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया।

एक ओर यह स्थिति है तो दूसरी ओर रपटों की योजनाएं व राजनीति है। लोक निर्माण विभाग ने 2023 में कमज़ोर घोषित हुए पुल की बराबर में दांए किनारे पर एक रपटा बनाया था जो पहली ही बरसात में पूरी तरह बिखर गया था। फिर 2024 में पुल के बांए किनारे पर रपटा बनाया गया। यह रपटा उस मार्ग पर बनाया गया जो आदर्श नगर के मुख्य मार्ग से जाकर मिलता है। निर्माण के बाद काफी समय तक रपटा किसी उपयोग में नहीं आया। इसी कारण इसके औचित्य पर सवाल उठना शुरू हो गए। महानगर कांग्रेस अध्यक्ष एडवोकेट राजेंद्र चौधरी ने रपटा निर्माण के औचित्य पर सवाल उठाते हुए धरना प्रदर्शन, ज्ञापन आंदोलन किया तो इस रपटे पर रोडवेज की बसों का संचालन शुरू कर दिया गया। इस पर आदर्श नगर वासियों ने आपत्ति शुरू कर दी गई। स्थानीय ग्रीन वे स्कूल के प्रबंध तंत्र ने आबादी मार्ग पर बसों के संचालन को बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बताकर धरना प्रदर्शन किया। इस का कोई संज्ञान लगता नहीं कि शासन प्रशासन द्वारा लिया गया है। इस बीच बरसात हुई तो पूर्व मेयर गौरव गोयल मीडिया को लेकर रपटे पर पहुंच गए। उन्होंने रपटे पर बहते बरसाती पानी से होकर चलती बसों को यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बताया और नगर विधायक प्रदीप बत्रा का नाम लेकर उन्हें इस औचित्यहीन निर्माण के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने रपटे के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि “जब रपटे के ऊपर पानी बह रहा है तो उसके निर्माण का औचित्य क्या है?

 

नगर विधायक प्रदीप बत्रा ने गौरव गोयल के इसी वक्तव्य को पकड़ लिया और कहा कि”गौरव गोयल को यही पता नहीं कि रपटा बनाया ही इसलिए जाता है कि पानी अगर ज्यादा आ जाए तो वह रपटे के ऊपर को होकर बह जाए।” बात बत्रा की ठीक है लेकिन रपटे के औचित्य का सवाल तो फिर भी खड़ा है। पहला सवाल यह कि जब वे खुद विधानसभा में रेगुलर पुल की जरूरत जाहिर कर चुके हैं तो फिर रेगुलर पुल के निर्माण में देर क्यों हो रही है? जो लोक निर्माण विभाग नगर विधायक की हस्ती को सलाम करते हुए उनके कहने पर धड़ाधड़ रपटे बनाए जा रहा है वह पुल की डी पी आर क्यों तैयार नहीं कर रहा है? तीसरी बात, जब नगर विधायक ने रपटा ही बनवाया तो क्यों उसकी चौड़ाई इतनी नहीं रखी कि पानी नीचे से, पाइप्स से, होकर ही बह जाए? क्यों लोक निर्माण विभाग यहां नदी की चौड़ाई की हदें बांधना चाहता है? बत्रा ने नहीं बताया कि गौरव गोयल द्वारा उठाए गए इस सवाल का क्या औचित्य है कि यहां नगर विधायक की सैकड़ों बीघा भूमि है जिसे रास्ते की आवश्यकता है? आखिर रपटे का क्या है सहारा भूमि मामले से कनेक्शन?