हरिद्वार जनपद को स्थान मिला तो किसके सर सजेगा ताज?
एम हसीन
हरिद्वार। शहरी विकास और वित्त विभागों के मंत्री पद से डॉ प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद राज्य कैबिनेट में खाली पदों की संख्या 5 हो गई है। इसी कारण कैबिनेट के विस्तार की चर्चाएं भी तेज हो चली हैं। सत्ता की गलियों से लेकर मीडिया की ज़बान भी लगातार इस मामले में चर्चा कर रही है। ऐसे में दो सवाल बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। एक यह है कि यदि कैबिनेट विस्तार होता है तो क्या हरिद्वार जनपद को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा? दूसरा सवाल यह है कि अगर ऐसा होता है तो हरिद्वार जनपद के कौन से विधायक के सर पर तक सज सकता है?
उत्तराखंड के इतिहास का यह पहला अवसर है जब भाजपा सत्ता में है और राज्य की कैबिनेट में हरिद्वार जनपद को प्रतिनिधित्व हासिल नहीं है। भाजपा की पहली निर्वाचित सरकार 2007 में मेजर जनरल भवन चंद्र खंडूरी के नेतृत्व में बनी थी और उस सरकार में हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक को बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल किया गया था। पार्टी की दूसरी सरकार त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में 2017 में बनी थी और तब भी मदन कौशिक को ही कैबिनेट मंत्री के रूप में स्थान मिला था। लेकिन 2021 में भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया था और उनकी सरकार में मदन कौशिक की बजाय हरिद्वार देहात के विधायक स्वामी यतीश्वरानंद को राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया था। तब मदन कौशिक को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। फिर तीरथ सिंह रावत को भी हटाकर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया था और उन्होंने स्वामी यतीश्वरानंद का दर्जा बढ़ाते हुए उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया था।
इन्हीं हालत में 2022 का विधानसभा चुनाव हुआ था और हरिद्वार जनपद में भाजपा विधायकों की संख्या 8 से घटकर 3 रह गई थी। यूं विधानसभा चुनाव हारने वालों में एक नाम स्वामी यतीश्वरानंद का भी था, इसलिए लगातार दूसरी बार और कुल मिलाकर तीसरी बार बनी पार्टी की इस सरकार में हरिद्वार जनपद को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया था। तब शायद मदन कौशिक को पार्टी के खराब प्रदर्शन का दोषी माना गया था।यही कारण है कि उन्हें कुछ महीनों बाद प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था। तभी से जनपद में यही स्थिति चली आ रही है।
एक और यह स्थिति है, दूसरी ओर जनपद के तीनों ही भाजपा विधायकों का कैबिनेट पर अपने-अपने तरीके से दावा रहा है। हरिद्वार विधायक मदन कौशिक चूंकि 2022 में लगातार पांचवीं बार विधानसभा चुनाव जीते थे, इसलिए सबसे वरिष्ठ विधायक होने के नाते उनका कैबिनेट मंत्री पद पर दावा बना हुआ है। हाल के निकाय चुनाव में उन्होंने हरिद्वार मेयर पद पर पार्टी प्रत्याशी किरण जैसल की जीत का दस्तावेज लिखा है और इसे उनकी अतिरिक्त योग्यता माना जा रहा है। वैसे उन्हें हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत का पूर्ण समर्थन प्राप्त है। लेकिन उनका ड्रॉ बैक कुछ और है। वह यह कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ उनका 36 का आंकड़ा शुरू से बना हुआ है जो आज भी कायम बताया जाता है।
दूसरे रानीपुर विधायक आदेश चौहान हैं जिनका यह लगातार तीसरा कार्यकाल है। अपने विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले निकाय शिवालिक नगर नगर पालिका परिषद में पार्टी प्रत्याशी राजीव शर्मा को विजयी बनाने की उपलब्धि आदेश चौहान के नाम भी दर्ज है । उनकी स्थिति यह है कि उनका अगर राज्य की राजनीति में किसी के साथ प्रबल विरोध नहीं है तो कोई विशेष या उल्लेखनीय समर्थन भी नहीं है। लेकिन चूंकि मदन कौशिक के साथ उनका मिजाज नहीं मिलता, इसलिए त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर भी वे न्यारे-न्यारे ही रहते दिखाई देते हैं। यही वह समीकरण है जो उन्हें मुख्यमंत्री खेमे के निकट ले आता है। लेकिन यह भी सच है कि कौशिक विरोध की राजनीति भी वे उतना आक्रामक तरीके से नहीं करते कि मुख्यमंत्री कैंप में उनकी स्थिति निर्णायक हो जाए। बहरहाल कैबिनेट मंत्री पद पर उनका दावा बरकरार है।
तीसरे रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा हैं। उनका भी यह तीसरा कार्यकाल है हालांकि उन्हें पहला कार्यकाल कांग्रेस विधायक के रूप में मिला था। 2015 में भाजपा गमन करने के कारण ही उनका पहला कार्यकाल 4 साल का रहा था। उनका प्लस प्वाइंट यह है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में भी मेयर चुनाव भाजपा ने जीता है। दूसरी बात, वे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निकट बताए जाते हैं। कैबिनेट विस्तार की चर्चाओं के बीच वे पूर्व हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के साथ अपनी केमिस्ट्री बनाने में कामयाब हुए दिखाई दे रहे हैं। डॉ निशंक की शक्ति इस बात में है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत-मदन कौशिक युति के खिलाफ वे ही मुख्यमंत्री ग्रुप की ओर से हरिद्वार में राजनीति करते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन यह भी सच है कि प्रदीप बत्रा के पक्ष में रुड़की वाया हरियाणा होकर दिल्ली और देहरादून जाने वाले रस्ते पर शटर इन दिनों उनके लिए बंद बताया जा रहा है। लेकिन यह भी सच है कि जिन हालात में डॉ प्रेम चंद्र अग्रवाल का इस्तीफा हुआ है उससे रुड़की में प्रदीप बत्रा मजबूत हुए दिखाई दे रहे हैं।
बहरहाल, यह अभी भी निश्चित नहीं है कि हरिद्वार जनपद को राज्य कैबिनेट में प्रतिनिधित्व मिलेगा ही। फिर भी अगर ऐसा होता है तो मंत्री चाहे कोई बने लेकिन मदन कौशिक को नजर अंदाज करके कोई नहीं बन पाएगा। अंतिम बाजी उसी के हाथ लगेगी, जिसे चाहे किसी भी समझौते के तहत मिले, मदन कौशिक का समर्थन मिलेगा।