मेयर की पहली प्रशासनिक विजिट सलेमपुर में होना देता है सकारात्मक इशारा

एम हसीन

रुड़की। महानगर का 25 साल का इतिहास बदलते हुए ललित मोहन अग्रवाल ने जब भाजपा को महानगर का पहला मेयर दे दिया है तो स्वाभाविक रूप से वे राज्य की सत्ता के सीधे संपर्क में भी आ गए हैं। नगर विधायक प्रदीप बत्रा सहित जिन लोगों के विषय में माना जा रहा था कि वे नई मेयर अनीता देवी अग्रवाल को दिशा देंगे वे सभी किनारे हो गए दिखाई दे रहे हैं। इस प्रोटोकॉल के तहत, कि सी एम आवास में मेयर की गाड़ी की सीधी एंट्री में वैसे ही कोई समस्या नहीं होती, और तो अब तो ललित मोहन अग्रवाल जीत का तोहफा लेकर आए हैं तो सी एम पुष्कर सिंह धामी और अग्रवाल के बीच कोई और होने का कोई सवाल नहीं है, सिवाय पूर्व सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के, जो कि अग्रवाल के गॉड फादर रहे हैं। अब सवाल यह है कि क्या इन सीधे संबंधों का महानगर को कोई लाभ मिल पाएगा? क्या महानगर को उन समस्याओं से निजात मिल पाएगी जो उसका भाग्य बनी हुई हैं?

जैसा कि सर्वज्ञात है कि रुड़की को महानगर का दर्जा मिले 11 वर्ष का समय बीत चुका है और नगर निगम के तीसरे बोर्ड ने औपचारिक रूप से काम करना शुरू कर दिया है। पहले पखवाड़े में मेयर का अधिकांश समय अपने स्वागत समारोहों में शिरकत करने में गुजरा है। लेकिन इस बीच वे किसी न किसी स्तर पर सड़कों पर भी उतरी हैं। मसलन, वे पिछले दिनों सलेमपुर पहुंची थीं और वहां उन्होंने समस्याओं को जाना था। यह सर्वज्ञात है कि यह क्षेत्र जल भराव की स्थाई समस्या से ग्रस्त है। चुनाव से ऐन पहले यहां के नागरिकों ने जल भराव की समस्या को लेकर लंबा आंदोलन किया था, मतदान बहिष्कार तक की धमकी दी थी। अब निर्वाचित होने के बाद मेयर अनीता देवी अग्रवाल का अपने पति ललित मोहन अग्रवाल के साथ सबसे पहले इस क्षेत्र में पहुंचना और यहां की समस्याओं को जानना इस बात को रेखांकित करता है कि समस्याओं के निवारण को लेकर कम से कम उनकी सोच में कोई खोट नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि जल भराव की इस समस्या का निवारण कम से कम नगर निगम के अपने बूते की बात नहीं है। जितना बजट इस एक काम के लिए चाहिए उतना बजट नगर निगम के पास नहीं है। लेकिन राज्य सरकार के पास स्वाभाविक रूप से बजट की कमी नहीं है और राज्य के मुखिया के साथ अग्रवाल का सीधा संबंध है। ऐसे में अग्रवाल के प्रयास अवश्य कुछ बेहतर नतीजा दे सकते हैं। देखना यह है कि ऐसा कब तक होता है! जाहिर है कि उसके बाद ही अन्य समस्याओं के निस्तारण का सवाल उठने वाला है।