हर क्षेत्र की समान समस्या बन गया कुत्तों का आतंक

एम हसीन

रुड़की। सड़कों पर कुत्तों का बढ़ता आतंक जल भराव की समस्या से कहीं अधिक बड़ा मुद्दा है। सवाल यह है कि क्या यह किसी प्रत्याशी का मुद्दा है? क्या कोई प्रत्याशी इसका निदान करने का वादा कर रहा है?

कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके द्वारा मनुष्यों पर हमला किए जाने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसका सबसे ज्यादा शिकार सड़कों पर बाइक सवार हो रहे हैं। कुत्ते सामूहिक रूप से हमला करने वाला जानवर है जो झुंड में बाइक सवार को घेरते हैं। आतंकित बाइक सवार कभी खुद गिरकर घायल हो जाता है तो कई बार कुत्ते ही उसे भांबोड देते हैं। इससे भी ज्यादा खतरनाक मसला तड़के या थोड़ा देर रात्रि में सड़कों पर निकलने वाले अकेले व्यक्ति के सामने आता है, जब कुत्तों का झुंड उसे गिरा कर घेर लेता है और फिर अगर उसे बाहरी मदद हासिल ना हो तो राम ही उसका मालिक होते हैं। बड़ी उम्र के लोगों, महिलाओं और बच्चों को यह कहर कहीं ज्यादा झेलना पड़ रहा है। यह ऐसी है कि इस प्रकार की समस्याओं को देखना निकायों का काम होता है। अतीत में कभी निकाय कुत्तों की संख्या को सीमित रखने के लिए उन्हें जहर देकर मार देते थे। लेकिन अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। लेकिन इसका कोई विकल्प अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने नहीं दिया था।

नगर के कई प्रबुद्धजनों ने विभिन्न क्षेत्रों में कुत्तों द्वारा मनुष्यों पर किए गए हमलों की विडियोज “परम नागरिक” को भेजकर आग्रह किया है कि इस बाबत नगर निगम में मेयर व पार्षद प्रत्याशियों से पूछा जाए कि क्या यह उनकी प्राथमिकता पर है? आग्रह किया गया है कि पूछा जाए कि इस विषय में उनके क्या विचार हैं? क्या प्राथमिकताएं हैं। जैसा कि सब जानते हैं कि व्यवस्थित तरीके से काम करने वाली भाजपा ने निकाय चुनाव को लेकर अपना संकल्प पत्र जारी किया है जिसमें समस्याओं का निस्तारण का वादा किया गया है। लेकिन कुत्तों की बढ़ती संख्या और उसके चलते पैदा हो रही समस्या पर भाजपा ने कोई प्रयास नहीं किया है। बाकी दलों ने संकल्प पत्र जारी करने जैसा कोई कार्य नहीं किया है। अलबत्ता प्रत्याशी व्यक्तिगत रूप से इस बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं। न ही उनसे कोई सवाल हो रहा है।