मेयर प्रत्याशियों की सूची का सांस रोक कर हो रहा इंतजार

एम हसीन

रुड़की। रुड़की में मेयर टिकट के दावेदार चाहे कोई हो, अखाड़े के पहलवान नगर विधायक प्रदीप बत्रा और पूर्व नगर निगम प्रत्याशी मयंक गुप्ता ही हैं। मयंक गुप्ता इस मामले में एक कदम आगे हैं कि इस बार उन्होंने वही खेल खेला है जो पिछली बार प्रदीप बत्रा ने उनके खिलाफ खेला था। इस बार वैश्य चेहरे के पैरोकार मयंक गुप्ता हैं। इसी कारण बत्रा को इस बार वैकल्पिक चेहरा लेकर लड़ना पड़ रहा है। वैसे पहलवानों की एक जमात इससे ऊपर भी है लेकिन वो पर्दे की तीसरी तह में है। अखाड़े के जाहिर पहलवानों के कस-बल देखकर लगता है कि टिकट अगर मेघा जैन को नहीं होगा तो रेखा शर्मा को होगा। अलबत्ता रैफरी ने ऐन समय पर कोई दांव अपना ही खेल दिया तो चेहरा कोई तीसरा भी हो सकता है।

मेयर की सूची के जारी होने में देरी कोई चिंता की बात नहीं है। हर चुनाव में सूची अंतिम समय पर ही जारी किए जाने की परंपरा है। जब सूची जारी होगी तो उससे पहले पार्टी के बड़े नेताओं के फोन स्विच ऑफ या आउट ऑफ ऑर्डर हो जाएंगे। अभी ऐसा नहीं हुआ है। यही इस बात का प्रमाण है कि दंगल अभी जारी है। दूसरी ओर यह भी सच है कि जैसे-जैसे समय निकट आता जाता है, वैसे-वैसे दावेदारों, उनके समर्थकों और सामान्य जन-मानस की अधीरता बढ़ती जाती है। लेकिन लगता है कि समय अब आ ही गया है। नामांकन बाध्यता के कारण अगले 24 घंटे में सूची जारी होना लाजमी होगा।

इस बीच यह तय हो गया है कि अखाड़े में प्रदीप बत्रा और मयंक गुप्ता लड़ रहे हैं। बत्रा खुद विधायक हैं और उनके पीछे सत्ता की ताकत है। मयंक गुप्ता खुद वरिष्ठ संघ नेता हैं और सांसद प्रतिनिधि होने के नाते टिकट चयन में वे हस्तक्षेप का पूरा अधिकार रखते हैं। सूची जारी होने में देरी होने पीछे पार्टी को बगावत का कोई खतरा नहीं है। इस मामले में दो बातें अहम हैं। एक, किसी एक बगावत से किसी पार्टी, वह भी भाजपा जैसी बड़ी पार्टी, पर कोई फर्क नहीं पड़ता। दूसरी बात यह है कि बगावत कभी नीचे से नहीं होती। बगावत ऊपर से ही होती है और ऊपर फिलहाल बगावत के कोई हालात नहीं हैं। कारण यह है कि रुड़की में टिकट को लेकर बड़े महंत अपने तौर पर सुरक्षित स्थिति में हैं। इस बार अगर बत्रा बगावत का जोखिम नहीं ले सकते तो गुप्ता भी नहीं ले सकते।

दूसरी ओर, जो दो पहलवान मैदान में हैं उनमें व्यक्तिगत रूप से कोई दावेदार नहीं है। अगर प्रदीप बत्रा अपने लिए टिकट नहीं मांग रहे हैं तो इस बार मयंक गुप्ता भी अपने लिए टिकट नहीं मांग रहे हैं। इसलिए किसी भी नाम पर समझौता करने की गुंजाइश दोनों के पास बराबर है। ऐसे में रेफरी ने अगर कोई नाम पेश किया तो नतीजा 35 में से किसी भी दावेदार के पक्ष में जा सकता है। लेकिन अगर रैफरी तटस्थ ही रहा तो टिकट मेघा जैन या रेखा शर्मा में से किसी के नाम जाने की प्रबल संभावना है।

दरअसल, मयंक गुप्ता इस बार खुद दावेदार नहीं हैं, इसी बात ने टिकट के मामले को पेचीदा बना दिया है। जैसा कि स्वाभाविक है कि प्रदीप बत्रा की मुख्य चिंता मौजूदा चुनाव नहीं बल्कि 2027 का विधानसभा चुनाव है। पिछली बार भी उनके सामने यही लक्ष्य था। लेकिन पिछली बार मयंक गुप्ता खुद दावेदार थे। वे 2022 का लालच छोड़कर निकाय पर समझौता करने की तैयार थे। इसलिए उनके लिए निकाय चुनाव पहली प्राथमिकता था। दूसरी बात, तब अगर उनके लिए विधानसभा का कोई रास्ता निकलता तो वह भी 2019 के निकाय चुनाव में उनकी जीत से ही निकलता। यही प्रदीप बत्रा ने नहीं होने दिया था। तब प्रदीप बत्रा टिकट की लड़ाई तो हार गए थे, लेकिन उन्होंने मयंक गुप्ता को हराकर अपना विधानसभा चुनाव का मोर्चा बचा लिया था। तब 2022 तक मयंक गुप्ता मेयर गौरव गोयल के खिलाफ लड़ते रह गए थे।

इस बार मयंक गुप्ता ने अपना एक कदम पीछे खींचकर दो कदम आगे बढ़ने की गुंजाइश पैदा कर ली है। अब वे निकाय टिकट के माध्यम से 2027 की लड़ाई दूसरा चेहरा सामने रखकर लड़ रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे प्रदीप बत्रा लड़ रहे हैं। अहम बात यह है कि इस बार मयंक गुप्ता का अपना कुछ भी दांव पर नहीं है, जबकि प्रदीप बत्रा का सबकुछ दांव पर है। टिकट वैश्य को अगर नहीं होता तो इसकी जवाबदारी बत्रा को ही करनी है और 2027 में विशेषतः टिकट पर वैश्य की दावेदारी को मजबूत करना है। अगर टिकट अब वैश्य को होता है तो उसे चुनाव बत्रा को ही लड़ाना है। पिछली बार गौरव गोयल को निर्दलीय मेयर बनाने की उपलब्धि हासिल कर लेने वाले प्रदीप बत्रा के लिए जारी चुनाव बड़ी चुनौती बनने वाला है, क्योंकि प्रत्याशी को जीत दिला कर लाना उन्हीं की जिम्मेदारी होगी। अब पेंच यह है कि बत्रा मयंक गुप्ता द्वारा प्रायोजित वैश्य चेहरे को टिकट दिलवाकर मेयर बनायेंगे या अपने वफादार किसी गैर-वैश्य चेहरे, मसलन रेखा शर्मा, के लिए संघर्ष करेंगे? इसी पर दरअसल, सूची अटकी है और यह स्थिति दरअसल, पूरे प्रदेश में है। सब जगह कोई मयंक गुप्ता और कोई प्रदीप बत्रा मौजूद है।